हिंदी पट्टी के राज्यों में मोदी लहर कायम, दक्षिण में कमजोर

 
नई दिल्ली
    
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ग्राफ उन प्रदेशों में तेजी से बढ़ा है जहां तकरीबन डेढ़ साल पहले विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को कांग्रेस के हाथों करारी शिकस्त मिली थी. हिंदी पट्टी के इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ खास तौर पर शामिल हैं. यह जानकारी इंडिया टुडे के खास सर्वे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (पीएसई) में सामने आई है. पीएसई में पाया गया कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में मोदी सरकार की लोकप्रियता में खासी बढ़ोतरी देखी गई है.

पीएसई के तहत कराए गए सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेट सैटिसफैक्शन इंडेक्स (एनएसआई यानी संतुष्टि सूचकांक) से यह जानकारी निकल कर सामने आई है. एनएसआई में जुटाए गए आंकड़े यह भी बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी को उत्तर भारत के बीजेपी शासित प्रदेशों में अच्छा समर्थन मिलता दिख रहा है. यह समर्थन हिमाचल प्रदेश में सर्वाधिक 36 फीसदी है. यह आंकड़ा 68 फीसदी संतुष्ट मतदाताओं में से 32 फीसदी असंतुष्टों को छांटने के बाद सामने आया है.   

आगे बात राजस्थान की. यहां पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव हुए थे जहां कांग्रेस ने बीजेपी की सरकार को बेदखल कर दिया था. इस बेदखली के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ग्राफ यहां तेजी से बढ़ा है. पीएसई के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में नरेंद्र मोदी का एनएसआई यानी संतुष्टि सूचकांक 32 फीसदी है.

हिंदी पट्टी के एक और खास राज्य मध्य प्रदेश में भी कमोबेश यही स्थिति है. यहां कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी की अच्छी लोकप्रियता है और वे संतुष्टि सूचकांक में 26 फीसदी पर बने हुए हैं. छत्तीसगढ़ में हालांकि राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसी स्थित नहीं है और प्रधानमंत्री मोदी का एनएसआई यहां 14 प्रतिशत है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक से चली आ रही बीजेपी सरकार को पिछले साल कांग्रेस ने हटा किया और रमन सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा.

राजनीतिक लिहाज से उत्तर भारत के सबसे खास प्रदेश यूपी में भी प्रधानमंत्री ने अपनी लोकप्रियता बरकरार रखी है जहां उनका एनएसआई 26 प्रतिशत है. हरियाणा का भी आंकड़ा 26 प्रतिशत निकल कर सामने आया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी की कुल 80 में 71 सीटें जीती थी. हालांकि पिछले साल के कुछ उपचुनावों में हार के बाद भी यह हिसाब 68 सीटों पर टिका हुआ है.

उत्तर भारत के लगभग सभी प्रदेशों में प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का ग्राफ बुलंदियों पर हो, ऐसा नहीं है. बात अगर पंजाब की करें तो यहां स्थिति अच्छी नहीं है क्योंकि यहां के मतदाताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को ऋणात्मक सूची में रखा है. यहां एनएसआई माइनस 10 फीसदी दर्ज किया गया है. उत्तर भारत में पंजाब ही ऐसा राज्य है जहां नरेंद्र मोदी की संतुष्टि सूचकांक इतने कम स्तर पर है.

अब पूर्वी भारत की ओर रुख करते हैं. इस इलाके में ओडिशा और बंगाल दो अहम प्रदेश हैं. इन दोनों राज्यों में प्रधानमंत्री का एनएसआई संतोषजनक है. ओडिशा में यह जहां 34 फीसदी है तो बंगाल में आंकड़ा 18 फीसदी का बैठता है. पश्चिम में गुजरात है जहां से प्रधानमंत्री मोदी खुद आते हैं. उनके इस गृह प्रदेश में एनएसआई 26 फीसदी है जबकि महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 16 फीसदी है.

देश के दक्षिणी राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता माइनस में है. केरल में स्थित सबसे खराब है जहां उनका स्कोर कार्ड माइनस 44 प्रतिशत दर्ज किया गया है. यहां जितने लोगों से राय ली गई उनमें 28 फीसदी संतुष्ट दिखे तो 72 फीसदी लोगों ने प्रधानमंत्री के प्रति अंसतुष्टि जताई. इसके बाद तमिलनाडु का स्थान है जहां प्रधानमंत्री का एनएसआई माइनस 36 फीसदी है. यहां प्रधानमंत्री के काम से 32 फीसदी लोग संतुष्ट और 68 फीसदी असंतुष्ट पाए गए. तेलंगाना में एनएसआई माइनस दो फीसदी है, जहां नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को 49 फीसदी लोगों ने समर्थन दिया तो 51 फीसदी लोगों ने स्कोर कार्ड को नकार दिया.

आंध्र प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति मतदाताओं की दिलचस्पी बिल्कुल नहीं है. यहां एनएसआई शून्य फीसदी दर्ज किया गया है. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के लिए दक्षिणी राज्यों में सबसे बड़ी खुशखबरी कर्नाटक से आई है जहां उनकी नेट पॉजिटिव रेटिंग 24 फीसदी पर दर्ज की गई है.

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