हारे हुए घोड़े पर फिर सवार है बीजेपी, देखिए इस बार होता है क्या

भोपाल

विधानसभा चुनाव में फ्लॉप हो चुके कैंपेन पर बीजेपी ने एक बार फिर लोकसभा चुनाव में दांव लगा दिया है. बात चाहें संकल्प पत्र के लिए सुझाव लेने की हो या मेरा परिवार भाजपा परिवार की. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने ये सभी कैंपेन जोर शोर से चलाए थे बावजूद इसके वो सत्ता से बाहर हो गई.लेकिन पार्टी को अब भी भरोसा है कि लोकसभा चुनाव में इसका जादू चलेगा. विधान सभा चुनाव से पहले बीजेपी ने दावा किया था कि एमपी में उसने मिस्ड कॉल और सदस्यता अभियान के जरिए 1 करोड़ से ज्यादा सदस्यों को जोड़ा. लेकिन नतीजा आया तो उसे कांग्रेस के मुकाबले मामूली वोट ही मिले.

इन सारे तथ्यों को दरकिनार कर बीजेपी, लोकसभा चुनाव में अपने कैंपेन को रिपीट कर रही है. यही वजह है कि 18 के अखाड़े में फ्लॉप हो चुका उसका ये कैंपेन सुर्खियों में है. दरअसल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने कैंपेन को लेकर बड़े बड़े दावे किए थे लेकिन जब नतीजे आए तो हकीकत कुछ और ही निकली. बीजेपी की सत्ता से बेदखली की वजह ये मानी गई कि उसने कैंपेन की हकीक़त बढ़ा-चढ़ाकर पेश की.

बीजेपी ने दावा किया था कि एमपी में उसने मिस्ड कॉल और सदस्यता अभियान के जरिए 1 करोड़ से ज्यादा सदस्य जोड़े. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कुल वोट 1 करोड़ 56 लाख 42 हजार के आसपास ही मिले थे. कांग्रेस को 1 करोड़ 55 लाख 95 हजार वोट मिले.सवाल ये कि जब बीजेपी ने अकेले मिस्ड कॉल से ही एक करोड़ से ज्यादा सदस्य बनाए थे तो फिर उसे सिर्फ 56 लाख वोट ही ज्यादा क्यों मिले. वो भी कांग्रेस से करीब 50 हज़ार वोट ही ज्यादा थे. बीजेपी ने मेरा परिवार भाजपा परिवार और कमल ज्योति जैसे अभियानों के जरिए भी लोगों को जोड़ने का दावा किया था. लेकिन सब फ्लॉप शो साबित हुए.

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