हम कश्मीर में 2016 की हिंसा और अशांति नहीं दोहराना चाहते, सुप्रीम कोर्ट में बोला केंद्र

हिटी 
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने के बाद जम्मू कश्मीर में लगाये गये सभी प्रतिबंधों को हटाने का केन्द्र और राज्य सरकार को निर्देश देने से मंगलवार को इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि साल 2016 में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के खात्मे के बाद हुए खूनी विरोध प्रदर्शनों और हत्याओं जैसे हालात से बचने के लिए जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने से पहले कश्मीर घाटी में बंद का आदेश दिया गया। सरकार के शीर्ष कानून अधिकारी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया। 

 
जम्मू-कश्मीर में लोगों और राजनीतिक नेताओं के मूवमेंट पर प्रतिबंध के खिलाफ एक याचिका का जवाब दे रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि 2016 में तीन आतंकवादियों की हत्या के बाद हुए सड़क विरोध प्रदर्शन में 44 लोगों की जान चली गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थिति 'बहुत ही संवेदनशील है और सरकार को हालात सामान्य करने के लिये समुचित समय दिया जाना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा कि राज्य में किसी की जान नहीं जाये। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य होने का इंतजार करेगी और इस मामले पर दो सप्ताह बाद विचार करेगी।

 
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की खंडपीठ कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में अनुच्छेद 370 के प्रावधान रद्द करने के बाद जम्मू कश्मीर में पाबंदियां लगाने और कठोर उपाय करने के केन्द्र के निर्णय को चुनौती दी गयी है। केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि इस क्षेत्र की स्थिति की रोजाना समीक्षा की जा रही है और अलग-अलग जिलाधिकारियों से रिपोर्ट प्राप्त की जा रही है और इसी के अनुसार ढील दी जा रही है। 

अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा, ''हमें यह सुनिश्चित करना है कि जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था बनी रहे। उन्होंने जुलाई, 2016 में एक मुठभेड़ में आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने की घटना के बाद हुये आन्दोलन का हवाला दिया और कहा कि उस समय हालात सामान्य करने में करीब तीन महीने लग गये थे। वेणुगोपाल ने कहा कि 1990 से अब तक आतंकवादी 44,000 लोगों की हत्या कर चुके हैं और सीमा पार बैठे लोग उन्हें निर्देश और हिदायतें दे रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने में कुछ दिन लगेंगे। वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि जम्मू कश्मीर में पिछले सोमवार से प्रतिबंध लगाये जाने के बाद से एक भी मौत नहीं हुयी है। अटार्नी जनरल सुनवाई के दौरान पीठ के सवालों का जवाब दे रहे थे। पीठ राज्य में स्थिति सामान्य करने और बुनियादी सेवायें बहाल करने के बारे में प्राधिकारियों द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानना चाहती थी। 

 
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ''जम्मू कश्मीर में स्थिति इस तरह की है जिसमें किसी को भी यह नहीं मालूम कि वहां क्या हो रहा है। सामान्य स्थिति बहाल करने के लिये कुछ समय दिया जाना चाहिए। वे दैनिक आधार पर स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। पीठ ने कहा, ''सरकार का प्रयास सामान्य स्थिति बहाल करने का है। इसीलिए वे दैनिक आधार पर स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। यदि जम्मू कश्मीर में कल कुछ हो गया तो इसके लिये कौन जिम्मेदार होगा? निश्चित ही केन्द्र।
 

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