हजरत इब्राहिम की सुन्नत है बकरीद: उलमा

देहरादून 
कुर्बानी (समर्पण) का त्योहार ईद-उल-अजहा (बकरीद) सोमवार को हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। बकरीद की नमाज अदा के बाद जानवरों की कुर्बानी की जाएगी। कुर्बानी का सिलसिला तीन दिन चलेगा। 

ईद की तैयारियों के मद्देनजर रविवार रात को मुस्लिम बहुल इलाकों में बाजार गुलजार रहे। लोगों ने देर रात तक बाजार में बकरों की खरीदारी की गई। वहीं ईदगाहों एवं मस्जिदों में ईद की नमाज के लिए ही सुबह से लोग जुटने लगे। काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी और शहर मुफ्ती मोहम्मद सलीम अहमद, शिया इमाम मौलाना शहंशाह हुसैन जैदी, नायब शहर काजी सुन्नी सैय्यद अशरफ हुसैन कादरी ने लोगों से मिलजुलकर भाईचारे के साथ बकरीद मनाने की अपील की है। वहीं, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने को कहा।
 
वहीं, कुर्बानी के इस पर पर्व पर बुराइयों से तौबा करने की अपील की। उलमा ने बताया कि बकरीद का त्योहार मुसलमान हजरत इब्राहिम की सुन्नत अदा करने के लिए जानवरों की कुर्बानी देकर मनाते हैं। 

मुस्लिम परिवार सोमवार को नहीं करेगा कुर्बानी 
एक मुस्लिम परिवार ने सावन के चौथे सोमवार की वजह से बकरीद पर कुर्बानी नहीं करने का फैसला किया है। सुभाष रोड निवासी उत्तराखंड यूथ क्रिकेट एसोसिएशन के महासचिव जावेद बट ने बताया कि वे सोमवार की जगह कुर्बानी मंगलवार को करेंगेे।  

गौरतलब है कि इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है। इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दिन कुबार्नी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं जिसमें एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं। ऐसा करके मुस्लिम इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज़ भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं।

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