स्वास्थ्य विभाग में नौकरी बचाने संविदा कर्मचारी व अधिकारियों को अब नही देनी होगी परीक्षा, सरकार ने लगाया ब्रेक
ग्वालियर
स्वास्थ्य विभाग में अपनी नौकरी बचाने के लिए संविदा कर्मचारी व अधिकारियों को अब परीक्षा नही देनी होगी। अप्रेजल के नाम पर परीक्षा कराने की इस व्यवस्था पर सरकार ने फिलहाल ब्रेक लगा दिया है। राष्टÑीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों की 1 जुलाई से होने वाली परीक्षा के आदेश को सरकार ने निरस्त कर दिया है। 100 नंबर की परीक्षा में संविदा कर्मियों को नौकरी बचाए रखने के लिए कम से कम 65 अंक लाने जरूरी थे। कमलनाथ सरकार द्वारा परीक्षा निरस्त किए जाने से संविदा कर्मचारियों में खुशी दौड़ गई है।
चार साल पहले एनएचएम में अप्रेजल के नाम पर कर्मचारियों व अधिकारियों के पास फेल की व्यवस्था शुरू की गई थी। इस व्यवस्था में 100 नंबर के पेपर में 65 अंक लाना जरूरी होता था। इसलिए पास होने वाले अंक नही आने पर हजारों संविदा कर्मियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी। इस परीक्षा व्यवस्था के खिलाफ संविदा कर्मियों ने प्रदेश व्यापी आंदोलन भी किया था। इस आंदोलन पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आश्वासन, लेकिन अफसरों ने ये परीक्षा कार्यक्रम को नही बदला था।
नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की प्रबंध संचालक छवि भारद्वाज के अनुमोदन से मुख्य प्रशासकीय अधिकारी डॉ.ब्रजेश सक्सेना द्वारा जारी आदेश में स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले संविदा अधिकारी व कर्मचारियों के लिए एक जुलाई से 15 जुलाई तक दो चरणों में अप्रेजल का टाइम टेबल जारी किया गया था। इसमें लिखित परीक्षा व इंटरव्यू किए जाने थे। इस परीक्षा में 18 वर्ष तक की नौकरी पूरी करने वालों से लेकर एक साल पहले सेवा में आए सभी को परीक्षा में न्यूतनम 65 अंक लाना अनिवार्य थे।
परीक्षा नहीं होने से राहत मिलने के बाद अब संविदा कर्मचारियों ने मांग की है कि कमलनाथ सरकार अपने वचन को भी पूरा करें। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था। इसके अलावा संविदा कर्मी निष्काषित कर्मियों की बहाली की मांग भी कर रहें है।