स्वच्छता अभियान: 24 जिलों में अब भी 91 हजार से ज्यादा अनुपयोगी शौचालय चिंहित, केन्द्र की फटकार

भोपाल
स्वच्छता के मामले में 24 जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत लापरवाह बने हुये हैं। इनमें अधिकांश आईएएस अधिकारी हैं। केन्द्र सरकार ने ऐसे अफसरों के खिलाफ  कार्रवाई करने की शिफारिश की है। सभी अधिकारियों को राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने अल्टीमेटम दिया है कि वे अनुपयोगी शौचालयों को सुधरवाने के लिये टीम तैनात करें।

राज्य सरकार ने प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त होने का दावा किया है। विधानसभा चुनाव के पहले अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत को व्यक्तिगत तौर पर प्रशंसा पत्र भी भेजे थे लेकिन अब उन्हीं जिलों में स्वच्छता की पोल खुलने लगी है। अधिकृत जानकारी के अनुसार 24 जिलों में अब भी 91 हजार से ज्यादा अनुपयोगी शौचालय चिंहित किये गये हैं। 

टूटे-फूटे पड़े शौचालयों को सुधारने के लिये राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने कुछ समय पहले सभी मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को चिट्ठी लिखते हुये कहा था ग्रामवार और परिवारवार अनुपयोगी शौचालय को सुधारने के लिये आवश्यक राशि की व्यवस्था की जाये। अगर आवंटित राशि में सभी शौचालयों को उपयोगी बनाना संभव नहीं हो तो जानकारी राज्य कार्यक्रम अधिकारी को दें जिससे अतिरिक्त राशि दिये जाने के लिये निर्णय लिया जा सके। लेकिन 24 जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी चुप्पी साधे हुये हैं। इससे स्वच्छता अभियान प्रभावित हो रहा है।

अशोकनगर, बड़वानी, भिंड, छतरपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, दतिया, डिंडोरी, गुना, जबलपुर, झाबुआ, कटनी, मंडला, पन्ना, सागर, सतना, सिवनी, शहडोल, सिंगरौली, टीकमगढ़, उमरिया और विदिशा जैसे इन जिलों में चल रही लापरवाही ।

राज्य स्वच्छ भारत मिशन ने मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को कड़ा पत्र लिखा है। पत्र में कहा है कि 24 जिलों की सीईओ की उदासीनतापूर्ण रवैये पर भारत शासन ने नाराजगी जताई है। इसलिये निर्देश हैं कि एमआईएस के शेष अनुपयोगी शौचालयों को 28 फरवरी तक उपयोगी बनाने की कार्रवाई करें और इसकी रिपोर्ट मिशन को भेजें।  एक शौचालय के सुधार पर अधिकतम राशि 12 हजार रुपये की सीमा तय की गई है।

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