स्कूल और सोशल मीडिया के भरोसे हिंदी विवि के प्रवेश
भोपाल
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी है। विवि ने अपने प्रवेश का ग्राफ ऊपर उठाने के लिए नये नये प्रयास कर रहा है। इसके चलते राजधानी के करीब एक सैकड़ा स्कूलों से संपर्क किया गया है। वहीं विवि सोशल मीडिया पर भी प्रचार प्रसार के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
हिंदी विवि में बजट का अभाव बना हुआ है। इसलिए विवि अपने सभी विभागों की सीटों पर प्रवेश कराने के लिए नये नये हथकंडे अपना रहा है। यहां तक विवि ने राजधानी के करीब 100 स्कूलों के प्राचार्यों से संपर्क किया। यहां तक उन्हें विवि बुलाकर एक बैठक तक आयोजित कराई गई। इसमें उन्हें हिंदी विवि की स्थापना के उद्देश्य के साथ उन्हें कोर्स की जानकारी दी गई। यहां तक विवि अधिकारी व कर्मचारियों को स्कूलों में पहुंचकर स्कूली विद्यार्थियों को विवि की जानकारी तक देना पड़ी है।
वहीं विवि के हरेक कर्मचारी और अधिकारी व पूर्व विद्यार्थियों को प्रवेश का प्रचार प्रसार करने के लिए कहा गया है। इसके तहत विवि विद्यार्थियों में पंप प्लेट आवंटित करने के साथ स्कूलों में होडिंग तक लगाएगा। इसके अलावा अधिकारी व कर्मचारी अपने व्हाटसअप ग्रुप और फेसबुक पर जानकारी अपलोड कर रहे हैं। उनके मोबाइल में जितने भी संकर्प हैं। उन्हें मैसेज किए जा रहे हैं।
बजट के अभाव में विवि अखबारों में पंप प्लेट डलवाने की तैयारी में जुटा हुआ है। हालांकि हाईकोर्ट ने एक मीडिया ग्रुप के पक्ष में फैसला देते हुए अखबारों में पंप प्लेट डलवाने पर रोक लगा रखी है। इसके बाद भी विवि अपनी प्रवेश संख्या बढ़ाने के लिए कोर्ट के आदेश को भी नजरअंदाज करने को तैयार है।
ये रही कोर्स की संख्यस
विवि अपने दो दर्जन पीजी, डेढ दर्जन यूजी और एक-एक दर्जन एक वर्षीय और छह माह के डिप्लोमा की सीटों पर प्रवेश देगा। विद्यार्थी उक्त सभी विषयों में दस जून तक 500 रुपए के साथ प्रवेश ले पाएंगे। वहीं 11 जून से दस जुलाई तक सौ रुपए के विलंब शुल्क के साथ 600 रुपए की फीस जमा कर प्रवेश ले सकेंगे। यहां भी चूकने के बाद विद्यार्थी 200 रुपए के विशेष शुल्क के साथ 11 जुलाई से 14 अगस्त तक प्रवेश ले सकेंगे। ये सभी प्रवेश आनलाइन प्रक्रिया के तहत ही किए जाएंगे।
विवि में बजट का अभाव है। इसलिए प्रवेश संख्या बढ़ाने के लिए स्कूल प्राचार्य की बैठक कराई गई है। उन्हें प्रवेश कराने के लिए कहा गया है। प्रवेश बढ़ाने के लिए विवि सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं रखेगा।
डॉ. बी भारती, रजिस्ट्रार, हिंदी विवि