सोनिया की वापसी से कमलनाथ होंगे और भी मजबूत

भोपाल

कांग्रेस की कमान एक बार फिर सोनिया गांधी के हाथों में आ गई है। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस पार्टी द्वारा सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने पर खुशी की लहर है।अब सोनिया गांधी के हिसाब से आगे की रणनीति बनाई जाएगी। अभी तक राहुल के हिसाब से युवा पीढ़ी को आगे कर पार्टी को मैदान में उतारा गया था और चुनाव लड़े गए लेकिन अब सोनिया के आते ही फिर से कमलनाथ और दिग्विजय जैसे उम्रदराज नेताओं की दिल्ली मे पूछपरख बढ़ने की उम्मीद है। वही कमलनाथ पावरफूल भी होंगें।

दरअसल, विधानसभा में जीत के बाद कमलनाथ का दिल्ली में जैसे ही बढ़ा वैसे ही लोकसभा में आते नीचे हो गया। लोकसभा में करारी हार के बाद प्रदेश संगठन पर सवाल उठने लगे। कमलनाथ प्रदेश के नेताओं के निशाने पर आ गए। मंत्री-विधायकों औऱ नेताओं में गुटबाजी होने लगी है, नेता खुलकर कमलनाथ के खिलाफ मुखर हो गए और हार का ठीकरा उन पर ही फोड दिया।संगठन में बदलाव की मांग भी उठने लगी। उधर लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया।  इस बीच कमलनाथ और राहुल बीच दूरिया भी बढ़ती गई। कई बार कमलनाथ ने राहुल से बैठक के लिए समय मांगा लेकिन बैठक नही हो पाई। जिसके चलते ना तो एमपी में मंत्रिमंडल का विस्तार हो पाया और ना ही नियुक्तियां हो पाई।लेकिन सोनिया के कमान संभालते ही फिर से इन नेताओं का कद बढने की संभावना है।वहीं, मुख्यमंत्री कमलनाथ की कुर्सी स्थायी होने तथा उन्हें अपने हिसाब से फैसले लेने की शक्ति मिलने की संभावना जताई जा रही हैं।

खास बात ये है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गांधी परिवार के संजय गांधी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी के साथ काम किया था। जबकि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद उनके मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया औऱ सचिन पायलेट के संबंध उनसे गहरे हुए। इसका असर अप्रत्यक्ष रूप से मप्र कांग्रेस की राजनीति पर भी दिखाई दिया। सोनिया गांधी के फिर अध्यक्ष बनने से एक बार फिर यह बदलाव दिखाई देने की संभावना है। इससे सिंधिया जैसे युवा नेताओं की जगह बुजुर्ग नेताओं के फिर शक्ति केंद्र बनने की संभावना है।

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