सीवर लाइन में 2 सफाई कर्मियों की मौत पर HC में सुनवाई, UP सरकार से मांगा मौत की परिस्थितियों का ब्यौ

 
प्रयागराज
वाराणसी में सीवर लाइन में फंसकर दो सफाई कर्मियों की दर्दनाक मौत पर मानवाधिकार जन निगरानी समिति के डॉ लेनिन और ह्यूमन राइट्स लीगल नेटवर्क की अनुराधा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करवाई। इस पर न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को आदेशित किया है कि मौत की परिस्थितियों पर हलफनामा प्रस्तुत करे और यह बताए कि मैन्युअल सकेंवेनजिंग एक्ट के प्राविधानों की तरह सीवर कार्य मे मशीनों का प्रयोग क्यों नहीं किया गया और सफाई कर्मी को सुरक्षा उपकरण क्यों नहीं उपलब्ध कराए गए। याचिका की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।
 याची गण के अनुसार 1 मार्च को नगर निगम के संविदा सफाई कर्मचारी चंदन और राकेश को पांडेपुर इलाके में 20 फुट गहरे सीवर में उतारा गया। जहां जहरीली गैस से उनकी जान चली गई। नियमानुसार सीवर कार्य मे लगे कर्मचारियों को सेफ्टी बेल्ट, ऑक्सिजन मास्क, दस्ताना, जैकेट, चमड़े के जूते दिए जाना अनिवार्य है, क्योंकि सीवर में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, सल्फर डाइऑक्साइड, आदि जानलेवा गैस होती है।
 एक निजी समाचार पत्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचीगण ने बताया कि पूरे देश के 11 राज्यो में पिछले एक साल में 97 सफाई कर्मी सीवर में अपनी जान गवा चुके हैं। जिसमे सबसे ज्यादा मौत यूपी में हुआ है। 2016 में देशभर में कुल 172 और 2017 में 172 मौते सीवर के अंदर जहरीली गैस से हो चुकी हैं।
 याचीगण का कहना है कि पिछले पांच साल से वरुणा क्षेत्र में सीवर लाइन का काम चल रहा है। सीवर का काम नगर निगम और जल निगम के अंतर्गत गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा संचालित है। जिसका ठेका विख्यात एलएंडटी कम्पनी को हैं। जो अपना काम स्थानीय ठेकेदारों से करवा रहे हैं, जिनको इस काम का कोई अनुभव नहीं है और जो दुर्घटना के बाद बचाव न कर वहां से भाग खड़े हुए। याचीगण के अनुसार पिछले कुछ साल में वाराणसी में 6 से ज्यादा सफाई कर्मी इस तरह जान गवा चुके हैं ।
 

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