सीट वृद्धि पर ही सवर्ण आरक्षण देने पर अड़े निजी मेडिकल कालेज
एमसीआई और चिकित्सा शिक्षा विभाग को लिखा पत्र
भोपाल
प्रदेश के सातों निजी मेडिकल कॉलेज सवर्ण गरीबों को आरक्षण देने के नाम पर मौजूदा सीटों में वृद्धि चाहते हैं। उनकी ओर से हाल ही में इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया एवं संचालक चिकित्सा शिक्षा को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है कि उनके संस्थानों में सीट वृद्धि कर दस फीसदी आरक्षण को लागू किया जाए। ऐसा उन्होंने केंद्र द्वारा निम्न आय वर्ग योजना में दिए गए विकल्प के तहत किया है। दरअसल केंद्र सरकार ने देश के सभी शासकीय शैक्षणिक संस्थाओं में सवर्ण गरीबों के लिए दस फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था की है। इसे निम्न आय वर्ग या ईडब्ल्यूएस योजना नाम दिया गया है। इस प्रणाली में केंद्र सरकार ने निजी संस्थाओं को विकल्प दिया है कि यदि वह चाहें तो इस स्कीम के तहत छात्र-छात्राओं को लाभ दे सकते हैं। इसी विकल्प का इस्तेमाल करते हुए प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों ने सीट वृद्धि का प्रस्ताव एमसीआई को भेजा है।
छात्रों से ज्यादा निजी कॉलेजों का फायदा
यदि एमसीआई निजी कॉलेजों को सीट वृद्धि की अनुमति दे देती है तो एक कॉलेज में कम से कम 20 एमबीबीएस की सीटों में वृद्धि हो जाएगी। इन बढ़ी हुई सीटों पर प्रवेश होने से कॉलेजों को फीस के रूप में सीधा लाभ लाखों रुपए में होगा। इसके विपरीत यदि सीटें रिक्त रह जाती हैं तो कॉलेज लेवल काउंसलिंग में रिक्त सीटों को अनारक्षिण श्रेणी से भरने के प्रावधान का भी लाभ इन्हें मिल सकेगा। इस स्थिति में भी कॉलेजों को आर्थिक लाभ होगा। इस तरह कहा जा सकता है कि यदि ईडब्ल्यूएस स्कीम से छात्रों से ज्यादा निजी मेडिकल कॉलेजों को लाभ हो सकता है। बहुत मुश्किल है एमसीआई से मान्यता मिलना भले ही निजी कॉलेजों ने सीट वृद्धि का प्रस्ताव एमसीआई को भेज दिया हो, लेकिन इस वर्ष सीटों को मान्यता मिलना बहुत मुश्किल लग रहा है। क्योंकि सीट वृद्धि से पहले एमसीआई का निरीक्षण जरूरी होता है। असर देखा गया है कि निजी कॉलेज तय सीटों के मुताबिक अपने कॉलेज में सुविधाएं नहीं जुटा पाते इसके चलते एमसीआई उनकी मान्यता को रोक देती है।
सातवें वेतनमान के लिए मेडिकल टीचर पकड़ेंगे आंदोलन की राह
सातवां वेतनमान न मिलने से नाराज प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों के मेडिकल टीचर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर चुके हैं। यदि सरकार ने उनकी मांग समय रहते पूरी नहीं की तो सभी मेडिकल टीचर न सिर्फ आंदोलन करेंगे। बल्कि सामूहिक रूप से इस्तीफा भी दे सकते हैं। टीचर एसोसिएशन भोपाल के सचिव डॉ. राकेश मालवीय के मुताबिक हम पिछले दो सालों से सातवां वेतनमान दिए जाने की मांग सरकार से कर रहे हैं। पहले शिवराज सिंह सत्ता में थे। उन्होंने वादा किया था कि 2018 विस चुनाव के बाद हमारी मांग पूरी कर दी जाएगी। लेकिन वे अब सभा में नहीं आ रहे हैं। उनका कहना है कि हम अपनी मांग से मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी अवगत करा चुके हैं , लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। इसलिए हमने तय किया है कि हम अपनी मांग को लेकर आंदोलन करेंगे।
24 से जा सकते हैं सामूहिक अवकाश पर
यदि मेडिकल टीचर 24 से 26 जुलाई तक सामूहिक अवकाश पर जाते हैं तो हमीदिया अस्पताल में कामकाज पूरी ठप हो जाएगा। क्योंकि गांधी मेडिकल कॉलेज से संबंधित होने के नाते यहां ज्यादातर स्टाफ डॉक्टर मेडिकल टीचर की श्रेणी में आते हैं। इनके द्वारा काम बंद किए जाने से यहां भर्ती और ओपीडी में आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यही हाल प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजों से संबंधित जिला अस्पतालों को होगा। इनमें विदिशा, शिवपुरी, रतलाम आदि शामिल हैं।
13 मेडिकल कॉलेज के 3300 डॉक्टर्स उतरेंगे सडक़ पर
यदि मेडिकल टीचर एसोसिएशन की बात माने तो 17 जुलाई से प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू हो सकता है। इसमें प्रदेश के सभी 13 शासकीय मेडिकल कॉलेज 3300 से अधिक मेडिकल टीचर हिस्सा लेंगे। 17 जुलाई से शुरू होने वाले इस आंदोलन में शुरुआती दिनों में तो सिर्फ रैली और मांगों के लिए प्रदर्शन किया जाएगा।