सीएम शिवराज, वीडी, भगत भोपाल लौटे, नरोत्तम दिल्ली में डटे

भोपाल

मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार का कैबिनेट विस्तार आज फिर टल गया। दो दिन दिल्ली में चली माथापच्ची के बाद भी यह तय नहीं हो सका कि कैबिनेट में किसे शामिल करें और किसे बाहर। पार्टी के लिए क्षेत्रीय, जातीय और सिंधिया समर्थकों के साथ खुद के वरिष्ठ नेताओं को एडजस्ट करना चुनौती बना हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत आज वापस भोपाल लौट आए हैं। फिलहाल मंत्री नरोत्तम मिश्रा दिल्ली में हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व कल सूची फाइनल कर भेजेगा, इसके बाद कैबिनेट विस्तार किया जाएगा।
सिंधिया अपने कैम्प से शिवराज मंत्रिमंडल में कुल 11 नेताओं को मंत्री बनवा रहे हैं। इनमें से तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत मंत्री बन चुके हैं। सिलावट जहां अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं, वहीं गोविंद राजपूत सामान्य वर्ग से आते हैं। अब बचे हुए 9 लोग जिनके मंत्री बनने की सुगबुगाहट है, उनकी जाति मंत्रिमंडल में भाजपा के पुराने और सीनियर विधायकों को साधने में आड़े आ रही है। भाजपा को अपने पुराने लोगों के साथ मंत्रिमंडल में जातिगत समीकरण बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, रणवीर सिंह जाटव अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। वहीं बिसाहूलाल सिंह अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं। हरदीप सिंह डंग अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं। वहीं क्षत्रिय महेंद्र सिंह सिसोदिया, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, प्रद्युम्न सिंह तोमर हैं। एंदल सिंह कंसाना अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं।

दिल्ली से तय होना है सूची
सूची दिल्ली से तय होने की स्थिति सामने आने के बाद दावेदारों में कश्मकश की स्थिति है। जो सीनियर भाजपा विधायक हैं और दिल्ली के नेताओं से उनके संपर्क हैं, वे तो अपने संबंधों के आधार पर अंतिम सूची तक नाम बनाए रखने के लिए जोर आजमाईश कर रहे हैं लेकिन जो नए दावेदार हैं और उनकी दिल्ली के नेताओं से गहरी पैठ नहीं है, उन्हें सबसे अधिक दिक्कत हो रही है। उनके सामने संकट इस बात का है कि वे दिल्ली में किस नेता से अपनी दावेदारी जताएं। कौन उन पर भरोसा करे। दिल्ली से सूची आने की स्थिति में कई चौंकाने वाले नाम भी सामने आ सकते हैं, जैसे पांच मंत्रियों के शपथ के समय सामने आए थे। उधर दिल्ली से नाम तय होने की स्थिति के चलते मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश संगठन के नेता जरूर राहत महसूस कर सकते हैं क्योंकि दावेदारी करने वाले विधायक यह नहीं कह पाएंगे कि इन नेताओं ने उनका ख्याल नहीं रखा।

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