सिंधिया के बाद अब जीतू पटवारी और गृह मंत्री बाला बच्चन का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल

भोपाल
  मध्य प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठने लगी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी यह साफ कर दिया है कि वह चुनाव पूर्व ही प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए तैयार थे। लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण शीर्ष नेतृत्व ने किसी और को यह जिम्मेदारी सौंपने का फैसला टाल दिया था। लेकिन चुनाव में मिली हार के बाद अब एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने और संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव करने की बात सामने आई है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सामने आया है। उनके नाम के समर्थन में कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने बयान दिया था। अब दो नाम और इस रेस में शामिल हो गए हैं।

नए प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में अब सिंधिया के बाद जीतू पटवारी और गृह मंत्री बाला बच्चन का नाम भी सामने आया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और राज्य प्रभारी दीपक बाबरिया के बीच पार्टी के संगठन और सरकार में बदलाव को लेकर चर्चा हुई है। नाथ इस मामले पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ चर्चा करने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक सिंधिया विरोधियों ने कमलनाथ से पटवारी का नाम आगे करने के लिए कहा है। जीतू पटवारी राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं। उनके नाम पर मुहर लगाने में राहुल को मंथन की जरूरत नहीं है। जीतू उनके खास लोगों में गिने जाते हैं। अगर राहुल पटवारी का नाम फाइनल कर देते हैं तो सिंधिया और उनके समर्थकों के लिए यह बड़ा झटका होगा।

सीएम चाहते हैं बाला बच्चा को मिले पद

मुख्यमंत्री कमलनाथ चाहते हैं बाला बच्चन को प्रदेश अध्यक्ष का पद मिल जाए। बच्चा को सीएम नाथ का करीबी माना जाता है। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद नाथ नहीं चाहते उनके विरोधी खेमे का कोई व्यक्ति इस पद पर बैठे। जिससे उनके समानांतर ताकत प्रदेश में खड़ी न हो। नाथ पहले से दिग्विजय की सलाह के साथ काम करते रहे हैं। अगर सिंधिया प्रदेश अध्यक्ष पद पाने में कामयाब होते हैं तो इससे सीधे तौर पर दिग्विय सिंह का खेमा कमज़ोर होगा।

नाथ ने प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने का मन बना लिया है लेकिन वह नहीं चाहते हैं कि अलग-अलग खेमे के किसी नेता को यह पद मिले। नाथ का इरादा पार्टी संगठन और सरकार में बदलाव करना है।अब नाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने मंत्रियों के नामों को अंतिम रूप देना है। कांग्रेस के विधायक, निर्दलीय और सपा और बसपा के विधायक सभी मंत्री पद के दावेदार हैं। नाथ केवल 6 मंत्री बना सकते हैं, लेकिन दावेदार 10 से अधिक हैं। नाथ पार्टी विस्तार के बारे में कैबिनेट विस्तार को स्थगित करने या अपनी सरकार को स्थिर करने के निर्णय के बारे में चर्चा करेंगे।

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