सामाजिक समरसता का संदेश पहुंचाने में सफल रहा Kumbh

 
प्रयागराज

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुंभ देश दुनिया में सामाजिक चेतना, समरसता और स्वच्छता का संदेश पहुंचाने में सफल रहा है। पिछले डेढ़ माह के दौरान गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर 22 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। यह तादाद दुनिया के कई देशों की आबादी से कहीं अधिक है।
 मकर संक्रांति हो या मौनी अमावस्या अथवा बसंत पंचमी का शाही स्नान, संगम पर आस्था का महासागर समाहित हो गया था। शाही स्नान के बाद भी श्रद्धालुओं की भीड़ में कमी देखने को नहीं मिल रही है। बुजुर्ग हाथ में बुढ़ापे का सहारा लाठी, सिर पर गठरी, कंधे पर कमरी और एक दूसरे का हाथ पकड़े खरामा-खरामा संगम की राह पर बढ़ते चले आ रहे हैं। कुंभ मेले में 3 शाही स्नान पर्वों में सबसे बड़े मौनी अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं के आस्था के समंदर को संगम अपनी बाहों में भरने को आतुर दिखा। मानो सनातन धर्म गरज रहा था।
 वहीं अखाड़ों के संतों के साथ श्रद्धालु डुबकी लगाकर धन्य हुए। दुनिया के कई छोटे-छोटे जनसंख्या वाले देशों से अधिक लोगों की भीड़ ने यहां एक दिन में स्नान कर रिकॉर्ड कायम किया। मौनी अमावस्या के पर्व पर 5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। इस बार अर्द्ध कुंभ को सरकार ने कुंभ का दर्जा देकर इसको दिव्य और भव्य बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। संगम के विस्तीर्ण रेती पर कुंभ मेले को 3200 हेक्टेअर क्षेत्रफल में बसाकर भी एक मिसाल कायम की गई।
 इस बार किन्नर अखाड़ा को भी तीर्थराज प्रयाग के कुंभ में शिविर लगाने का सुनहरा अवसर मिला। यह भी अपने आप में एक मिसाल रहा। संस्कृति और समाज से दूर अस्तित्व के दोराहे पर खड़े किन्नर समाज का धर्म के सबसे बड़े मेले में ही राजतिलक हुआ। प्रयागराज के अलावा हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में भी कुंभ का आयोजन होता है, लेकिन जो विस्तार और भव्यता उसे यहां मिलती है और स्थान पर नहीं।

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