साइबर हमलों से हुआ 30,85,02,00,00,000 रुपये का नुकसान

 
नई दिल्ली   
     
साइबर अटैक्स कितने नुकसानदायक हो सकते हैं आप इसका अंदाजा इस रिपोर्ट से लगा सकते हैं. साल 2018 में दुनियाभर में लगभग 20 लाख साइबर अटैक्स का अनुमान है और इसकी वजह से 45 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. इसमें सबसे ऊपर Ransomware है.

इंटरनेट सोसाइटी की Online Trust Alliance (OTA) ने साइबर इंसिडेंट और ब्रीच ट्रेंड रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक रैंसमवेयर अटैक्स लगातार क्रिमिनल्स के फेवरेट बने हुए हैं. इतना ही नहीं बताया गया है कि रैंसमवेयर से 60% तक फिनांशियल इंपैक्ट हुए हैं. बिजनेस ईमेल ज्यादा प्रभावित हैं, क्रिप्टोजैकिंग ट्रिपल से भी ज्यादा हो गया है.

OTA की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सप्लाई चेन अटैक, बिजनेस ईमेल कॉम्प्रोमाइज जैसे साइबर अटैक्स ज्यादा हुए हैं और इनमें बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है. इनमें रैंसमवेयर अटैक्स भी हैं. 

इस तरह के साइबर अटैक्स हुए ज्यादा

इंटरनेट सोसाइटी ऑनलाइन ट्रस्ट अलाइंस के मुताबिक Ransomware जैसे अटैक्स की वजह से पिछले साल 8 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. इस तरह के साइबर अटैक में यूजर्स का डेटा चुरा कर उनसे भारी भरकम रैंसम अमाउंट यानी फिरौती मांगी गई. डेटा और इसका ऐक्सेस ब्लॉक करके भी इसे अनलॉक करने के लिए साइबर क्रिमिनल्स ने फिरौती मांग कर लोगों का नुकसान किया है. इतना ही नहीं अनुमान लगाया गया है 2021 तक Ransomware Attacks की वजह से 20 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है.

साइबर सिक्योरिटी फर्म ट्रेंड माइक्रो ने पिछले साल 10 लाख से ज्यादा क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स के बारे में पता लगया है. यह साइबर क्राइम क्रिप्टोकरेंसी पर आधारित है. इसे आप क्रिप्टो माइनिंग भी कह सकते हैं. इसके तहत क्रिमिनल्स क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिए वेबसाइट और सर्वर में सेंध लगाते हैं और क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग करते हैं जिनमें Bitcoin जैसी क्रिप्टोकरेंसी है.

इस टर्म से आप फैमिलियर जरूर होंगे. साइबर क्रिमिनल्स के लिए यह तरीका आसान है और कारगर भी. इसके जरिए फ्रॉड करके लगभग 1.3 बिलियन का नुकसान किया गया है. इस तरह के फ्रॉड में ईमेल हैकिंग भी शामिल है. फर्जी लिंक भेज कर यूजर्स को लुभाया जाता है और झांसे में आने के बाद फिशिंग के जरिए हैकर्स बड़ी हैकिंग आसानी से कर लेते हैं. आम तौर पर इस तरह की हैकिंग अटैचमेंट्स के जरिए की जाती है.

OTA की इस रिपोर्ट में बिजनेस ईमेल कॉम्प्रोमाइज के बारे में भी है. यानी साइबर क्रिमिनल्स ने BEC (Business Email Compromise) के जरिए भी लोगों को करोड़ों का चूना लगाया है. पिछले साल इस तरह के अटैक्स में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. मौटे तौर पर कहें तो इस तरह के अटैक्स में साइबर क्रिमिनल्स कंपनी कंपनी या उसके इंप्लॉइ को निशाना बनाते हैं. इसके तहत  वो किसी दूसरे फर्म के वेंडर्स होने का नाटक करते हैं और कंपनियों से फंड इकठ्ठे करते हैं. 

BEC अटैक को पहले मैन इन द ईमेल स्कैम भी कहा जता था. आम तौर पर इस तरह के साइबर अटैक में कुछ ट्रिक्स का यूज किया जाता है और कंपनी के सीईओ या बड़े अधिकारियों से वायर ट्रांसफर करा लिया जाता है. इसके लिए साइबर क्रिमिनल्स टार्गेट कंपनियों पर लंबे समय तक रिसर्च करते हैं और उनके लेन देन पर नजर रखते हैं. मौका मिलते ही वो वेंडर के तौर पर खुद को दिखा कर अपने पास फंड ट्रांसफर करा लेते हैं.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सब के अलावा डिसेप्टिव ईमेल, अटैक्स वाया थर्ड पार्टी, क्लाउड और क्रेंडेशियल स्टफिंग जैसे साइबर अटैक्स के जरिए अरबों रुपये का नुकसान किया गया है. Internet society OTA द्वारा जारी इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनमें से ज्यादातर साइबर अटैक ऐसे थे जिससे थोड़ी सी सावधानी बरतने से बचा जा सकता था.
 

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