सरकार के नक्शा प्रस्ताव का संसद में किया था विरोध, सांसद सरिता गिरि के घर पर हमला

नई दिल्ली
नेपाल सरकार के संविधान संशोधन प्रस्ताव को खारिज किए जाने की मांग करने वाली सांसद सरिता गिरि के घर पर हमला हुआ है. उनके घर पर काला झंडा लगाकार देश छोड़ने की चेतावनी दी गई है. इस घटना की जानकारी सांसद ने पुलिस को फोन पर दी, लेकिन पुलिस उनकी मदद के लिए नहीं पहुंची. उनकी पार्टी ने भी उनसे किनारा कर लिया है.

सरकार द्वारा नए नक्शे को संविधान का हिस्सा बनाने के लिए लाए गए संविधान संशोधन प्रस्ताव पर अपना अलग से संशोधन प्रस्ताव डालते हुए जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरि ने इसे खारिज करने की मांग की है. वहीं, उनकी पार्टी ने उनको तुरंत यह संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का निर्देश दिया है. साथ ही प्रस्ताव वापस नहीं लेने पर पार्टी से निलंबित करने की चेतावनी दी है.

नेपाल की संसद में संविधान संशोधन प्रस्ताव पर अपना परामर्श डालने के लिए 72 घंटे का समय दिया गया है. सरिता गिरि ने कहा कि नेपाल सरकार के पास पर्याप्त प्रमाण नहीं होने की वजह से इस संशोधन प्रस्ताव को खारिज किया जाए.
 

सरिता गिरि उसी पार्टी की सांसद है जिस पार्टी को इस संशोधन के प्रस्ताव का विरोध करने के लिए दो पार्टियों समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता पार्टी का विलय कराकर बनाया गया था. अब इस हालात में उनकी पार्टी भी उनके साथ खड़ी नहीं दिख रही है.

नक्शा संबंधित संविधान संशोधन प्रस्ताव पेश किया

बीते रविवार को दोनों पार्टियों ने सरकार के नक्शा संशोधन प्रस्ताव का विरोध करने के लिए एक दूसरे से हाथ मिलाया था, लेकिन बाद में किसी सांसद ने प्रस्ताव का विरोध नहीं किया. सरिता गिरि ने इस प्रस्ताव को खारिज करने की मांग कर खलबली मचा दी थी. अब इनकी खुद की पार्टी समेत नेपाल की सभी राजनीतिक पार्टियां उनके विरोध में खड़ी हो गई हैं.

मधेशी पार्टी ने भी नहीं किया विरोध

इससे पहले संसद में सहभागी सभी दलों ने इस संशोधन के पक्ष में बोला है. प्रमुख प्रतिपक्षी दल नेपाली कांग्रेस तो पहले ही समर्थन करने की घोषणा कर चुकी है. लेकिन भारत के पक्ष में रहने वाली मधेशी पार्टी ने भी संसद में इसका विरोध नहीं किया है. सरिता गिरि पहली सांसद हैं जिन्होंने इस संशोधन का विरोध किया है.

बता दें कि पिछले हफ्ते नेपाल की संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया गया. सरकार की तरफ से जिस दिन नक्शा संबंधित संविधान संशोधन प्रस्ताव को संसद में पेश किया था, उसी दिन नेपाल के राजपत्र में इसे प्रकाशित कर दिया गया था.
 

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