सरकार के दावों पर नहीं निवेशकों का भरोसा, खुद कराएंगी अध्ययन

भोपाल
देश की प्रसिद्ध हीरा खदान बांदर में निवेश करने से पहले देश की जानी मानी कंपनियां खुद अपनी टीम से अध्ययन कराएंगी। इस दौरान यह पता लगाया जाएगा कि सरकार द्वारा बतायी जा रही हीरों की उपलब्धता और उसकी गुणवत्ता में कितनी सच्चाई है। दरअसल इस खदान को लेने के लिए वेदांता, अडानी और फ्यूरा जेम्स जैसी कंपनियां आगे आयी हैं। यह खदान प्रदेश के छतरपुर में बांदर हीरा परियोजना के नाम से स्थित है। इन कंपनियों को सरकार की ओर से उन्हें अध्ययन कराने के लिए एक माह का समय दिया गया है। यही वजह है कि कंपनियों की तकनीकी टीमों ने वहां डेरा डाल रखा है। इन टीम से सकारात्मक रिपोर्ट मिलने के बाद ही कंपनियां इस परियोजना में निवेश का फैसला करेंगी। इसके चलते ही खनिज साधन विभाग को टेंडर में हिस्सा लेने का समय बढ़ाकर 20 अक्टूबर करना पड़ा है। गौरतलब है कि पहले 23 सितंबर तक टेंडर मंगाए गए थे। टेंडर प्रक्रिया में एक दर्जन कंपनियां शामिल हुई हैं। खनिज विभाग के मुताबिक, इस खदान में 60 हजार करोड़ रुपये मूल्य के हीरे हैं। इसके लिए अगस्त से टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। अब तक दो बार टेंडर जमा करने की तारीख बढ़ाई जा चुकी है। जानकार बताते हैं कि देश की नामचीन कंपनियों के अलावा विदेशी कंपनियों ने भी परियोजना में रचि दिखाई है पर निवेश से पहले देश की कंपनियां खदान की वास्तविकता जानना चाहती हैं। बांदर हीरा खदान को 50 साल की लीज पर देने की योजना है।

तीन बार होगी नीलामी

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस खदान की तीन बार नीलामी की जाएगी। तीसरी नीलामी में सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली कंपनी को ही खदान आवंटित की जाएगी। कंपनियों द्वारा अध्ययन कराने के मसले पर विभाग के अफसर कहते हैं कि कंपनियां अलग-अलग तरीके से अध्ययन करा रही हैं।

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