समानता, न्यायिकता, करूणा और प्रेम ही सुशासन का आधार

भोपाल

राज्यपाल  लालजी टंडन  ने क्रिश्चियनिटी और गुड गवर्नेंस विषय पर राजभवन में आयोजित संगोष्ठी में कहा कि समाज में प्रेम, स्नेह, दया और करूणा का साम्राज्य हो तथा सब सुखी, शिक्षित और प्रसन्न रहें। यही सुशासन का स्वरूप होना चाहिये। उन्होंने कहा कि महापुरूषों के जीवन से हमें स्वयं कष्ट सहकर मानवता के कल्याण के लिए कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। मानव समाज को ऐसे महापुरूषों के जीवन का अनुसरण करना होगा, जिससे विश्व में शांति और सदभाव का वातावरण निर्मित हो सके।

राज्यपाल  टंडन ने कहा कि समाज का प्रत्येक सदस्य ईश्वर की रचना है। इसलिए अमीर-गरीब, उँच-नीच का भेदभाव उचित नहीं है। समानता, न्यायिकता, करूणा और प्रेम सुशासन का आधार है। उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्म एक ही मंजिल तक पहुँचने के अलग-अलग रास्ते हैं। ईसा मसीह, भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर और मोहम्मद साहब सभी ने अपने जीवन से शांति और मानवता का संदेश दिया है। दूसरों के दर्द को दूर करने के प्रयास किये हैं।  टंडन ने कहा कि ईसा मसीह ने स्वयं कष्ट उठाकर दूसरों के कल्याण के कार्य किये। दूसरों की भलाई के लिए वह स्वयं सूली पर चढ़ गये। दूसरों की खुशी के लिए स्वयं कष्ट उठाकर कार्य करने का भाव ही सुशासन है। राज्यपाल ने बताया कि वेदों में कहा गया है कि जो कुछ भी है, वह हमारा नहीं है, क्योंकि हम खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जायेंगे। हमें जीवन में जो कुछ चाहिये, वह सब कुछ दूसरों को भी चाहिये। इस भाव के साथ कार्य करना ही  सुशासन है।

राज्यपाल ने कहा कि महामना स्व.  मदन मोहन मालवीय ने अशिक्षा के अंधकार से आमजन को मुक्त कराने के लिए एक-एक रूपया जोड़कर उच्च शिक्षा के प्रसार में अपना सारा जीवन लगा दिया।  विश्वविद्यालय की स्थापना कर, समाज में शैक्षणिक भेदभाव को खत्म कर, समानता की स्थापना के प्रयास किये। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय  अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व भी दूसरों के कल्याण के लिए ही समर्पित था। वे पहले राजनेता थे, जिसने सुशासन की संकल्पना को स्थापित किया। उनके शब्द थे 'ईश्वर मुझे इतनी उँचाई मत देना कि मैं अपनों को गले नहीं लगा सकूं, गैरों से मिल ना सकूं।'  वाजपेयी की किसी के प्रति द्वेष नहीं रखना, समानता का व्यवहार करना और अन्याय के विरुद्ध निरंतर संघर्ष करने की भावनाओं ने उनके व्यक्तित्व का निर्माण किया था। उनके प्रशासन का मूल मंत्र  समानता और संवेदनशीलता थी। सुशासन का भी यही आधार तत्व है।

फादर मारिया स्टीफन ने कहा कि देश के विकास का आधार नि:स्वार्थ सेवा है। पद अस्थाई है, सेवा भाव ही स्थाई है। मानव जीवन दूसरों के लिए है। प्रभु ईसा मसीह ने अपने जीवन के द्वारा यह संदेश दिया है। यही सुशासन का आधार है। गरीब, वंचित और कमजोर वर्ग और व्यक्ति के उत्थान के लिए, सबकी खुशहाली के लिए कार्य करना ही प्रशासन है। सब सुखी हों, यही सुशासन है। उन्होंने कहा कि भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे ही प्रशासक थे। उन्होंने न्याय और समानता के साथ संतुलन बनाकर सफलतापूर्वक कार्य किया। उन्होंने कहा कि प्रभू यीशू का जीवन समानता का संदेश देता है। अमीर, गरीब, उँच-नीच का भेद करना अनुचित और अन्यायपूर्ण है। उन्होंने सत्य का मार्ग प्रशस्त किया।

क्रिसमस पर्व, भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय  अटल बिहारी वाजपेयी और भारत रत्न महामना स्वर्गीय  मदन मोहन मालवीय की जन्म जंयती के अवसर पर आज राजभवन में संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। संगोष्टी में राज्यपाल के सचिव  मनोहर दुबे और राजभवन के अन्य अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।

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