सप्रे व दानी स्कूल मैदान बचाने भावनात्मक प्रदर्शन को लोगों का मिला भरपूर समर्थन
रायपुर
हमें सिर्फ सप्रे व दानी स्कूल का खेल मैदान बचाना है,जिसका व्यावसायीकरण करने का प्रयास निगम प्रशासन की ओर से किया जा रहा है। न्यायपालिका का हम पूरा सम्मान करते हैं लेकिन क्या चुने हुए निगम के जनप्रतिनिधि जनभावनाओं का सम्मान नहीं करते? राजनीति नहीं खेल भावना से देखें तो रविवार का दिन बूढ़ापारा इलाके में काफी रोचक नजारा पेश कर रहा था। मुख्य सड़क चौक-चौराहे से लेकर घर-दुकान के सामने लोग पोस्टर लेकर खड़े थे। क्या बच्चे-क्या बुजुर्ग सभी की एकजुटता के साथ किया जा रहा भावनात्मक प्रदर्शन बता रहा था कि वे मैदान को बचाने किसी से भी गांधीवादी तरीके से लड़ाई लडऩे तैयार हैं। उन्हे समर्थन देने रायपुर के विभिन्न संगठन व संस्था के लोग भी पहुंचे हुए थे। उन्होने लाकडाउन के नियम का पालन करते हुए निर्धारित दूरी बनाकर कतार में खड़े होकर शांतिपूर्वक अपना विरोध जताया।
पूरे अनुशासन के साथ सोसल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सभी लोग मास्क लगाए हुए थे। सुबह दस बजे से साढ़े दस बजे तक ऐतिहासिक मैदान को बचाने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया गया। सड़क किनारे कतार में खड़े होकर लोगों ने अपनी भावनाएं भी इस दौरान प्रकट की। मैदान छोटा करने के विरोध में बूढ़ापारा की गलियों में भी महिला-पुरूष, युवा व बच्चों ने भी हाथों में पोस्टर लिए कतार बनाकर खड़े थे। उनका कहना था कि मैदान को छोटा करके प्रकृति तथा खिलाडिय़ों की भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है। खेल मैदान में किसी तरह का निर्माण नहीं होना चाहिए, यहां सिर्फ खेल से संबंधित कार्य होने चाहिए। कोरोना के संक्रमण से सबक लेकर मैदानों को बचाने की जरूरत है। सौंदर्यीकरण तो राजधानी के कई जगहों का किया गया है लेकिन रखरखाव के अभाव में आज उन सभी सौंदर्य पर बदसूरती का ग्रहण लग गया है। मैदान को छोटा करने से बूढ़ातालाब को कोई फायदा नहीं होने वाला है, इसे छोटा किए बिना भी बूढ़ातालाब के सौंदर्य को बढ़ाया जा सकता है। निगम प्रशासन को चाहिए कि आम जनता की भावनाओं को समझे। सप्रे-दानी शाला मैदान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले किए गए इस प्रदर्शन में डाक्टर अजीत आनंद डेग्वेकर, धर्मराज महापात्र, महेन्द्र जैन (बब्बू भैया), विश्वजीत मित्रा, निश्चय बाजपेयी, वीरेन्द्र पांडेय, स्मिता देशपांडे, दीपक शर्मा, मुरली शर्मा, रामगोपाल व्यास, शाहीद भाई, सुरेश राजवैद्य, रामबाण लोखंडे, राजेंद्र डागा, भूपेन्द्र डागा, राजेश कदम आदि शामिल थे।