संसद सत्र में तीन तलाक बिल पेश करेगी मोदी सरकार, जम्मू-कश्मीर में 6 महीने

नई दिल्ली
मुस्लिम महिलाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार आगामी संसद सत्र में तीन तलाक बिल पेश करने जा रही है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि पुराने अध्यादेश को ही बिल में कन्वर्ट किया जाएगा। इसके साथ ही कैबिनेट ने जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 3 जुलाई 2019 से अगले 6 महीनों के लिए बढ़ा दिया है।

तीन बड़े ऑर्डिनेंस फिर जारी
मोदी सरकार ने संसद के बजट सत्र से ठीक पहले निरस्त हो चुके तीन अहम ऑर्डिनेंस को दोबारा जारी किया। दरअसल, आम चुनाव से ठीक पहले जितने भी ऑर्डिनेंस सरकार ने जारी किए थे, वे नई लोकसभा के गठन के बाद स्वाभाविक रूप से निरस्त हो जाते हैं। अब इन ऑर्डिनेंस को जारी कर संसद के बजट सत्र में तीनों बिलों को पास कराने की कोशिश होगी। गौरतलब है कि कुल 10 ऐसे आर्डिनेंस हैं, जो नई लोकसभा गठन के बाद निरस्त हुए थे।

तीन तलाक पर 10वां ऑर्डिनेंस
एक बार में तीन तलाक से जुड़े दसवें ऑर्डिनेंस को बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई। इसमें विपक्ष की कुछ मांगों को भी शामिल किया गया है। पिछले सत्र में जब सरकार ने अंतिम दिन राज्यसभा में इस बिल को पेश किया था तो विपक्ष ने यह कहकर बिल पास नहीं होने दिया कि सरकार ने बहुत ही हड़बड़ी में बिना सबकी सहमति लिए इसे पेश कर दिया। अब इसे संसद के बजट सत्र में पेश किया जएगा। ऑर्डिनेंस के अनुसार अहम बदलाव इस प्रकार हैं-

1- इस मामले में एफआईआर तभी स्वीकार्य की जाएगी जब पत्नी या उसके नजदीकी खून वाले रिश्तेदार दर्ज कराएंगे। विपक्ष और कई संगठनों की चिंता की थी कि इस मामले में एफआईआर का कोई दुरुपयोग कर सकता है।

2- पति और पत्नी के बीच मैजिस्ट्रेट समझौता करा सकते हैं, अगर बाद में दोनों के बीच इसकी पहल होती है। इससे पहले के बिल में इसके लिए प्रावधान नहीं थे। विपक्ष का तर्क था कि इसकी व्यवस्था होनी चाहिए।

3- तत्काल तीन तलाक अभी गैरजमानती अपराध बना रहेगा लेकिन अब इसमें ऐसी व्यवस्था कर दी गई है, जिसके बाद मैजिस्ट्रेट इसमें जमानत दे सकता है लेकिन इससे पहले पत्नी की सुनवाई करनी होगी। इससे पहले बिल में तीन साल की सजा के प्रावधान के बाद जमानत की गुंजाइश नहीं दी गई थी।

जम्मू-कश्मीर में आरक्षण की नई सुविधा
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कैबिनेट ने जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन बिल 2019 को मंजूरी दे दी है, जिससे जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को राहत मिलेगी। दरअसल, कैबिनेट ने आरक्षण के लिए वहां 1954 के राष्ट्रपति आदेश में बदलाव कर आरक्षण के प्रावधान में फेरबदल किया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले लोगों के साथ-साथ अब अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।

ऑर्डिनेंस जारी कर इसमें संशोधन किया गया है और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वालों को भी आरक्षण मिलेगा। सूत्रों के अनुसार इससे जम्मू के कुछ इलाकों में रहने वालों को इसका लाभ मिलेगा। इसके अलावा गरीबों को मिलने वाला 10 फीसदी आरक्षण भी लागू होगा। वहीं एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण भी लागू होगा। आम चुनाव से ठीक पहले इसपर ऑर्डिनेंस जारी किया गया था लेकिन संसद से इसे पास नहीं कराया जा सका था।

यूनिवर्सिटी में पुराना रोस्टर सिस्टम फिर से लागू
यूनिवर्सिटी में नियुक्ति को लेकर मोदी सरकार ने रोस्टर विवाद पर हुए दोबारा ऑर्डिनेंस जारी किया। इससे साथ ही पुराना सिस्टम बहाल किया। पुराने सिस्टम की बहाली को लेकर विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया था। ऑर्डिनेंस के बाद विभाग या विषय की बजाए विश्वविद्यालय या कॉलेज को एक यूनिट माना जाएगा। इस निर्णय से शिक्षक काडर में सीधी भर्ती के तहत 7000 से अधिक रिक्तियों को भरते समय यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि एससी, एसटी और ओबीसी को रिजर्वेशन मिल सके।

यूनिवर्सिटी में रोस्टर सिस्टम को लेकर विवाद उस समय शुरू हुआ था, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में आरक्षण रोस्टर का निर्धारण यूनिवर्सिटी को एक यूनिट मानकर तय करने की बजाय विभाग को यूनिट मानकर तय करने का निर्देश दिया था।

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