संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने खोला कमलनाथ सरकार के ख़िलाफ मोर्चा

भोपाल
मध्य प्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी शिवराज के बाद अब कमलनाथ सरकार के लिए नई चुनौती बन गए हैं. अपनी मांगें पूरी ना होने से ख़फा इन कर्मचारियों ने अब कमलनाथ सरकार के ख़िलाफ मोर्चा खोल दिया है. इन्हीं संविदा कर्मचारियों ने शिवराज सरकार की सत्ता पलट में अहम भूमिका निभाई थी. सरकार से इनकी नाराज़गी की वजह ये है कि वचन पत्र में वादे के बाद भी सरकार उस पर अमल नहीं कर रही है.

इन संविदा कर्मचारियों ने ट्ववीटर अभियान शुरू किया है. इसमें वो लिख रहे हैं कि मुख्यमंत्रीजी, मध्यप्रदेश में जिस तरह जनता को right to health है , उसी प्रकार  संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी right to regular होने का हक है.

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने 27 जुलाई 2018 से 28 सितम्बर 2018 तक संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को 90 प्रतिशत वेतन देने की जानकारी दी थी लेकिन हक़ीक़त ये है कि कर्मचारियों को 10 महीने से वेतन नहीं मिला है. नियमित करने की मांग भी अब तक अधर में है.

क्या है मसला

  • मध्य प्रदेश में 19 हज़ार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हैं.
  • नियमितिकरण की मांग को लेकर 2018 में 42 दिन तक आंदोलन चलाया था
  • शिवराज सरकार के आश्वासन पर हड़ताल ख़त्म की थी.
  • शिवराज सरकार ने 5 जून 2018 की नीति में राज्य/जिला स्वास्थ्य समिति ,एनएचएम के संविदा कर्मचारियों को नियमित समकक्ष पद के 90 प्रतिशत का वेतन लागू करने , नियमित भर्ती में 20 प्रतिशत आरक्षण लागू करने,
  • नेशनल पेंशन स्कीम, ईपीएफ, 62 वर्ष के पूर्व किसी भी संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्त न करने के साथ ही किसी भी संविदा कर्मचारी पर गम्भीर आरोप लगने के बाद जांच में दोषी पाए जाने पर नौकरी से निकालने की नीति बनायी थी.

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