शिव और गौरी का आशीर्वाद पाना है तो इस विधि से करें पूजा

 

माघ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को गौरी तृतीया व्रत किया जाता है। इस साल यह व्रत 8 फरवरी को है। शुक्ल पक्ष को किया जाने वाला यह व्रत भगवान शंकर और मां गौरी की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से विभिन्न कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। गौरी तृतीया की इस तरह करें पूजा

गौरी तृतीया पूजा विधि

इस दिन प्रातःकाल स्नान आदि कर देवी सती के साथ-साथ भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए। पंचगव्य तथा चंदन निर्मित जल से देवी सती और भगवान शिव की प्रतिमा को स्नान कराना चाहिए। धूप, दीप, नैवेद्य तथा नाना प्रकार के फल अर्पित कर पूजा करनी चाहिए। इस दिन इन व्रत का संकल्प सहित प्रारम्भ करना चाहिए।

पूजन में श्री गणेश पर जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, लौंग, पान, चावल, सुपारी, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढाते हैं। गौरी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान करा, वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेंहन्दी लगाते है। श्रंगार की वस्तुओं से माता को सजाया जाता हैं। शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन करके गौरी तृतीया कि कथा सुनी जाती है तथा गौरी माता को सुहाग की सामग्री अर्पण कि जाती है।

पार्वती का पूजन एवं व्रत रखने से सुखों में वृद्धि होती है। विधिपूर्वक अनुष्ठान करके भक्ति के साथ पूजन करके व्रत की समाप्ति के समय दान करें। इस व्रत का जो स्त्री इस प्रकार उत्तम व्रत का अनुष्ठान करती है, उसकी कामनाएं पूर्ण होती हैं।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *