शासन नियुक्त नहीं कर सका आयोग अध्यक्ष, निर्वाचन आयोग में जाएगी फाइल
भोपाल
निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष अखिलेश कुमार पांडे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन शासन अभी तक नये अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर सका। इसलिए अध्यक्ष पांडे को इस्तीफा स्वीकृत होने के बाद भी आयोग में अपनी सेवाएं पड़ रही हैं।
आयोग अध्यक्ष पांडे ने आचार संहिता लगने के बाद से फाइलों को देखना बंद कर दिया है। उन्होंने एक मार्च को अपने पद से इस्तीफा दिया था। आठ मार्च को उनका इस्तीफा स्वीकृत हो गया। इस्तीफा देने के बाद वे अपनी फाइलेंऔर जरूरी चीजों को एकत्रित कर कार्यमुक्त होने की तैयारी में लग गए। एक सप्ताह तक उनका इस्तीफा ही स्वीकार नहीं किया गया। आठ मार्च को उनके इस्तीफे को स्वीकृत कर लिया गया, लेकिन अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी थी। इसके कारण वे अपना दायित्व किसे सौंपते से सवाल खड़ा हो गया। राजभवन ने इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किए।
वहीं रिक्ती होने पर शासन छह छह माह के लिए अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है। इसलिए शासन की तरफ से भी नियुक्ति नहीं हो सकी। इस दौरान दस मार्च को मुख्य निर्वाचन आयोग ने देशभर में लोकसभा चुनाव को आचार संहिता लागू कर दी। अब शासन और राजभवन चाहकर भी उन्हें मुक्त कर दूसरे व्यक्ति का आयोग का प्रभार नहीं दे सकती हैं। अब तीन महीने तक अध्यक्ष पांडे प्रभार में बने रहेंगे।
आयोग से पांडे को मुक्त करने के लिए शासन को काफी कड़ी मशक्त करना होगी। शासन को उनके स्थान पर किसी व्यक्ति को एक साल के लिए नियुक्ति करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग की मंजूरी लेना होगी। वहां से मंजूरी मिलने के बाद शासन आदेश जारी कर पाएगा। यही प्रक्रिया नियमित अध्यक्ष को राजभवन से नियुक्ति करने के लिए शासन को निर्वाचन आयोग से मंजूरी लेना होगी। ऐसा नहीं करने की दशा में पांडे तीन माह तक अध्यक्ष के रूप में कार्य करते रहेंगे।
आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति राज्यपाल करता है। उच्च शिक्षा विभाग ने अपना व्यक्ति बैठाने एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें विभाग व्यक्ति को एक साल तक अध्यक्ष बनाकर पदस्थ कर सकता है। नियमानुसार राजभवन आयोग के किसी भी सदस्य को दो माह तक प्रभारी अध्यक्ष नियुक्त करता है। विभाग विज्ञापन जारी कर तीन व्यक्तियों का पैनल राजभवन भेज देता है। जबकि नोटिफिकेशन के तहत शासन छह माह तक किसी भी व्यक्ति को अध्यक्ष नियुक्त कर पाएगा। इसके बाद वह छह माह के लिए उसका कार्यकाल और बढ़ा सकेगा। वर्तमान में सभी स्थिति विपरीत दिखाई दे रही हैं।