शरद पूर्णिमा आज, इस तरह पूजा करने से मिलती है इन रोगों से निजात

 

आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार पूरे साल में सिर्फ इसी एक दिन चन्द्रमा अपनी षोडश कलाओं से भरपूर होता है। बता दें, इसी दिन कोजागरी व्रत भी किया जाता है। इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। इस बार यह व्रत 13 अक्तूबर को स्थिर योग में विशेष फलदायी होगा। शरद पूर्णिमा के दिन से ही व्रत एवं कार्तिक स्नान आरम्भ हो जाएगा।

ज्योतिष और आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा की बहुत महत्ता है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं. राजीव शर्मा के अनुसार पूर्णिमा की रात चंद्रमा का दर्शन अत्यंत सुख देने वाला होता है। ऐसा करने से शरीर के कई रोगों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा के दिन आप अपने किन रोगों से निजात पा सकते हैं।  

दमा मरीजों के लिए फायदेमंद-
शरद पूर्णिमा की खीर दमा से पीड़ित व्यक्ति के फेफड़े के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। इसे खाने से श्वांस संबंधी बीमारी दूर होती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी में रखी खीर दमा रोगियों को सुबह चार बजे के आसपास खा लेनी चाह‍िए।

आंखों का रखें ध्यान-
शरद पूर्णिमा के दिन चांद बेहद चमकदार होता है। जिन लोगों की आंखों की रोशनी कम हो रही हो उन्हें आज के दिन चांद को टकटकी लगाए देखना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से आंखों की रोशनी में सुधार होता है। इसके अलावा आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए आज की रात चांद की रोशनी में सुई में 100 बार धागा डालने से भी लाभ मिलता है।

दिल की सेहत का ध्यान-
शरद पूर्णिमा की खीर दिल के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसके अलावा शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में चांदी के बर्तन में रखी गई खीर खाने से शरीर में पित्त का प्रकोप कम होता है। जिससे व्यक्ति को मलेरिया होने का खतरा भी कम हो जाता है। दरअसल, मलेरिया के बैक्टीरिया पित्त का वातावरण मिलने पर ही शरीर में 4 दिन के अंदर फैलते हैं अन्यथा वह स्वंय ही कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं।

स्किन प्रॉब्‍लम दूर भगाएं-
शरद पूर्णिमा की खीर खाने से व्यक्ति को कई तरह की स्किन प्रॉब्लम से भी छुटकारा मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन चांद की रोशनी से नहाई हुई खीर को खाने से व्यक्ति को चर्म रोग से निजात मिल जाती है। इतना ही नहीं त्वचा बेदाग और खूबसूरत भी बनती है।

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