वो टेस्ट, जिसने दी भारत को WC जीत की ताकत!

नई दिल्ली
क्रिकेट में किसी मैच की हार-जीत कभी-कभी बहुत कुछ बदल देती है और भारत के क्रिकेट इतिहास में आज यानी 12 अप्रैल को ऐसी ही जीत दर्ज की गई। साल 1975 में भारतीय क्रिकेट टीम ने बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में वेस्ट इंडीज को हराया था। तब विंडीज टीम की कप्तानी दिग्गज क्लाइव लॉयड संभाल रहे थे।

7 अप्रैल से शुरू हुआ यह टेस्ट मैच पोर्ट ऑफ स्पेन में खेला गया। वेस्ट इंडीज टीम के कप्तान क्लाइव लॉयड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। विंडीज टीम ने पहली पारी में 359 रन बनाए जिसमें सर विवियन रिचर्ड्स ने 177 रन की पारी खेली।

भारत के लिए भागवत चंद्रशेखर ने 6 और कप्तान बेदी ने 4 विकेट झटके। भारत की पहली पारी 228 रन पर सिमट गई और मदन लाल (42) ने सर्वाधिक रन बनाए। माइकल होल्डिंग ने 65 रन देकर 6 विकेट झटके।

विंडीज टीम ने एल्विन कालीचरण (103*) की बदौलत दूसरी पारी 6 विकेट पर 271 रन बनाकर घोषित कर दी और भारत को जीत के लिए 403 रन का टारगेट मिला। भारत ने पहला विकेट अंशुमन गायकवाज (28) के रूप में 69 के स्कोर पर खो दिया। इसके बाद सुनील गावसकर ने 102 रन बनाए और स्कोर 177 रन पर पहुंचा दिया।

फिर गुंडप्पा विश्वनाथ (112) ने शतक जड़ा और जीत की नींव रखी। मोहिंदर अमरनाथ ने नाबाद 85 और बृजेश पटेल ने नाबाद 49 रन बनाकर पांचवें दिन लक्ष्य हासिल कर लिया।

तब भारत ने पहली बार चौथी पारी में इतने बड़े लक्ष्य का पीछा किया और जीत हासिल की। भारत के लिए यह जीत ऐतिहासिक थी क्योंकि उसने तब दिग्गजों से सजी विंडीज टीम को हराया। इतना ही नहीं, उसने एक साल पहले ही 1975 में पहला वर्ल्ड कप भी जीता था। 1979 में दूसरे वर्ल्ड कप पर भी लगातार विंडीज टीम ने कब्जा किया लेकिन 1983 में भारत ने कपिल देव की कप्तानी में पहली बार वनडे वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास भी रचा। 1983 वनडे वर्ल्ड कप का फाइनल भी वेस्ट इंडीज के खिलाफ ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर खेला गया था।

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