वीजी सिद्धार्थ: पारिवारिक बागान से शुरुआत, कॉफी की बारीक समझ, स्टाफ से खास रिश्ता बना CCD को दी वैश्विक पहचान

नई दिल्ली
 चिकमंगलुरु मशहूर कॉफी चेन के संस्थापक कैफे कॉफी डे के मालिक वी जी सिद्धार्थ ने पारिवारिक कॉफी बिजनस को वैश्विक पहचान दी। चिकमंगलुरु के रहनेवाले सिद्धार्थ बचपन से ही कॉफी की खुशबू के बीच बड़े हुए। इसी शहर के पास उनके परिवार के काफी बागान थे और 1870 से ही उनका परिवार इस बिजनस से जुड़ा था। पारिवारिक व्यापार को सिद्धार्थ ने एक नई पहचान दी और उसे बहुत आगे तक लेकर गए। 

अंग्रेजों के समय से ही कॉफी उत्पादन कर रहा है परिवार

सिद्धार्थ के दादा को ब्रिटिश हुकूमत के दौरान ही काफी बागान का काम मिला था। यहीं से इस परिवार के आगे बढ़ने की कहानी शुरू हुई। कॉफी के उत्पादन और उसकी देखभाल की हर छोटी से छोटी बात की जानकारी परिवार के सदस्यों को पारंपरिक रूप से थी। सिद्धार्थ का लगभग 550 साल पुराना पुश्तैनी मकान गौथल्ली में है और परिवार ने वहां से मलांग जिले को अपना ठिकाना बनाया। हालांकि, शहर में भी अपनी पुश्तैनी विरासत को यह परिवार साथ लेकर ही चला। 
 
दादा की संपत्ति का बंटवारा सिद्धार्थ के पिता और चाचा के बीच हो गया। उनके पिता ने 479 एकड़ जमीन करीब 90000 रुपये की कीमत में खरीदा। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक पुराने इंटरव्यू में उन्होंने कहा था. 'वहीं से मेरी शुरुआत हुई। मैंने एक के बाद एक कई कॉफी बागान खरीदे और 1992 तक मेरे पास 3,500 एकड़ बागान थे।' 1995 तक यह ग्रुप भारत का सबसे बड़ा कॉफी निर्यातक समूह था। 

भारत से बाहर भी खोले कैफे कॉफी डे 
इंडिया कॉफी ट्रस्ट (आईसीटी) के प्रेजिडेंट अनिल कुमार भंडारी ने सिद्धार्थ के बिजनस की सफलता पर कहा, 'सिद्धार्थ को कॉफी उत्पादन की बहुत बारीक समझ थी। उन्होंने सही वक्त पर इसे विस्तार देने का फैसला किया और भारत के बाहर इसे वियना, चेक रिपब्लिक, मलयेशिया, नेपाल और इजिप्ट में भी फैलाया।' 

 सिद्धार्थ के काम करने के तरीके की सराहना करते हुए कॉफी बोर्ड के चेयरमैन जीवी कृष्णा राव ने कहा कि वह फीडबैक को लेकर बहुत गंभीर थे। उन्होंने कहा, 'बिजनस में इतनी सफलता और काफी साल बिताने के बात ही सिद्धार्थ फीडबैक को लेकर बहुत गंभीर थे।' उन्होंने बताया कि एक बार सीसीडी का दौरा करने के दौरान उन्होंमे चिकोरी को कॉफी में मिलाने की शिकायत की थी। सिद्धार्थ ने तत्काल ऐक्शन लिया और इसे बंद कराया। फीडबैक पर सिद्धार्थ इतनी ही गंभीरता से काम करते थे। 

इनकम टैक्स रेड के बाद भी सिद्धार्थ की लोकप्रियता बनी रही 
2 साल पहले सीसीडी के चिकमंगलुरु दफ्तर में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की रेड पड़ी थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसके बावजूद भी सिद्धार्थ की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा। मंगलवार को भी चिकमंगलुरु में सीसीडी दफ्तर में कामकाज चलता रहा। हालांकि, एक स्टाफ ने बताया कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी मंगलुरु के लिए रवाना हुए हैं। यहां के स्टाफ का सिद्धार्थ के साथ आत्मीय संबंध थे। सिद्धार्थ की मां वांसती अपने गौथल्ली गांव के पुश्तैनी मकान में ही रहती हैं। उनके पिता पिछले कुछ वक्त से बीमारी के कारण मैसूर के अस्पताल में भर्ती हैं। 
 

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