विश्वविद्यालयों में 40 वर्षों बाद प्रोफेसरों की होगी बहाली

पटना 
                                                
राज्य के विश्वविद्यालयों में 40 वर्षों बाद एसोसिएट प्रोफेसर (रीडर) और प्रोफेसर के पदों पर सीधी बहाली होगी। सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। लंबे समय से सिर्फ व्याख्याता के पदों पर नियुक्ति हो रही है।  नियुक्ति की प्रक्रिया विश्वविद्यालय सेवा आयोग के माध्यम से होगी।

विश्वविद्यालयों से इस बाबत रिक्तियां जल्द मांगी जाएगी। फिलहाल इन दोनों पदों को मिलाकर लगभग 1500 रिक्तियां होंगी। पटना विवि में सवा सौ से डेढ़ सौ पद खाली हैं।अंतिम बार पटना साइंस कॉलेज में 1978 में प्रोफेसरों के पदों पर सीधी नियुक्ति हुई थी। इसके बाद 1982 में विज्ञापन तो निकाला गया पर नियुक्ति नहीं हुई। अब तक विश्वविद्यालयों में रीडर और प्रोफेसरों के पद प्रोन्नति के माध्यम से भरे जा रहे थे। इसमें भी कई तरह के विवाद होते रहे हैं। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश के बाद नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जा रही है। हाल ही में नैक की टीम पटना विवि में आई थी। टीम ने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी। टीम में शामिल मिजोरम विवि के कुलपति प्रो. केआरएस संबाशिव राव ने कहा था कि विवि में सीधे एसोसिएट और प्रोफेसर आ जाएंगे तो विश्वविद्यालयों की स्थिति बेहतर हो जाएंगे। विश्वविद्यालयों में जो रिसर्च का माहौल खत्म हो गया है, वह अच्छे प्रोफेसरों के आने से बेहतर होगा। इस संबंध में पटना विवि के कुलपति प्रो. रासबिहारी सिंह से शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन की बात हो चुकी है। 

शिक्षा  विभाग के आरके महाजन ने बताया कि विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सभी विश्वविद्यालयों से जल्द ही रिक्तियां मांगी जाएंगी। विश्वविद्यालय सेवा आयोग के माध्यम से इन पदों पर बहाली होगी। 

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