विधायक बनेंगे ‘पावरफुल’, पसंद से होंगे जिलों में तबादले

भोपाल
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद प्रदेश में एक बार फिर थोकबंद तबादलों का सिलसिला शुरू होगा। हालांकि इस बार तबादले उस तरह से नहीं होंगे, जिस तरह से आचार संहिता लागू होने से पहले हुए थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले तक जरूरी तबादले करने की सहमति दे दी है। साथ ही जो विभाग आचार संहिता लागू होने की वजह से तबादला आदेश नहीं निकाल पाए थे, वे तबादले कर सकेंगे। ख़ास बात यह है कि जिला और संभाग में पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए विधायकों की राय प्रमुख होगी| विधायकों की नाराजगी के बाद सीएम ने तबादलों में विधायकों की राय को प्रमुखता दिए जाने को कहा है|  बताया जा रहा है कि विधायकों की नाराजगी और उन्हें साधने के तहत यह पूरी कवायद की जा रही है, विधायकों को पावरफुल बनाया जा रहा है| 

दरअसल, लोकसभा चुनाव में मिली हार से कांग्रेसी विधायकों ने अफसरों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं| रविवार को मुख्यमंत्री ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी इस दौरान कुछ विधायकों ने मंत्रियों की कार्यशेली पर प्रश्न लगाकर जिलों में अफसरों द्वारा की जा रही उपेक्षा की बात कही थी| कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और जिला पंचायत सीईओ के तबादले जनप्रतिनिधियों की राय लेने की शिकायत की गई| विधायकों का कहना है कि ऐसे अफसरों को हटाया जाना चाहिए जो हमारी सरकार की योजनाएं क्रियान्वित करने में विफल रहे हैं|  अभी भी कई भाजपा की मानसिकता वाले अफसर मैदानी पोस्टिंग में तैनात हैं|   इस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि जिले के अंदर होने वाले तबादले और पदस्थापना के लिए विधायकों की राय प्राथमिकता पर ली जाए , विधायकों की इस बात से भी आश्वस्त किया गया है कि अगर कोई मतलब की नहीं सुनता है तो सीधे मुख्यमंत्री को बताएं|

बता दें कि मंत्रियों से विधायकों की नाराजगी पहले भी सामने आ चुकी है| विधायकों का कहना है कि मंत्री उनकी सुनते नहीं है और तबादलों में भी उनकी सहमति नहीं ली जाती है| जिससे क्षेत्र की जनता उनसे शिकायत करती है| बड़े स्तर पर विधायकों के पास कर्मचारी अधिकारियों की शिकायतें विधायकों के पास पहुँचती है| अब विधायकों की सहमति से तबादले होंगे| जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में थोकबंद तबादले होंगे| इनमे एसपी कलेक्टर के साथ ही जिला पंचायत सीईओ समेत अन्य विभागों में तबादलों का दौर शुरू होगा| 

प्रदेश में सत्ता परिर्वतन के बाद जनवरी, फरवरी एवं मार्च के पहले हफ्ते में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों से लेकर जिला स्तर पर बड़ी संख्या में तबादले हुए थे। ज्यादा संख्या में तबादला आदेश जारी होने की वजह से मप्र सरकार की देश भर में चर्चा हुई थी। आचार संहिता लागू होने के बाद तबादला एक्सप्रेस पर रोक गई थी| अब एक बार फिर तबादला एक्सप्रेस चलने वाली है| आचार संहिता ख़त्म होने के बाद अब सरकारी विभाग तबादला आदेश जारी करने के लिए स्वतंत्र होंगे। मंत्रालयीन सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में सभी विभागों को सूचित कर दिया है कि सिर्फ जरूरी तबादले आदेश ही जारी किए जाएं। सरकार पहले की तरह ताबड़तोड़ तबादला आदेश जारी करने से परहेज करने को कहा है। हालांकि जो विभाग पूर्व में तबादले नहीं कर पाए, वे तबादला कर सकते हैं। हालाँकि चुनाव में कई अफसरों के खिलाफ कांग्रेस में नाराजगी है जिसके चलते इन शिकायतों के आधार पर भी अफसर बदले जाएंगे| 

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सत्ता की कमान संभालते ही करीब 40 जिलों के कलेक्टर बदले थे। 35 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को बदला गया था। लेकिन लोकसभा चुनाव बाद एक दर्जन से ज्यादा जिलों के एसपी-कलेक्टर बदले जाने की संभावना है। इसमें उन अफसरों को फिर से कलेक्टर-एसपी बनाया जा सकता है, जिन्हें चुनाव आयोग ने हटा दिया था।

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