विधायकों को हर साल अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करना अनिवार्य

भोपाल
 मध्य प्रदेश में अब सभी विधायकों को हर साल अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करना होगा| विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन संसदीय कार्य मंत्री डॉ गोविन्द सिंह ने विधायकों की संपत्ति सार्वजनिक करने संबंधी संकल्प प्रस्तुत किया, जिसे चर्चा के बाद सर्वसम्मति से सदन द्वारा पारित किया गया।

कांग्र्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव ने अपने वचन पत्र में मंत्री-विधायकों की चल-अचल संपत्ति की जानकारी सदन में देने का वादा किया था। उसी के अनुसार संसदीय कार्य विभाग ने यह संकल्प तैयार किया है। अब सभी विधानसभा सदस्य प्रतिवर्ष अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करेंगे। यह विवरण उन्हें प्रतिवर्ष 31 मार्च की स्थिति में 30 जून तक प्रमुख सचिव, विधानसभा को प्रस्तुत करना होगा।

संपत्ति का विवरण वेबसाइट पर होगा अपलोड

विधायकों द्वारा दिया जाने वाले संपत्ति का विवरण विधानसभा की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। विधानसभा के प्रत्येक सदस्य को स्वयं एवं आश्रित प्रत्येक सदस्य की संपत्ति (आस्तियों तथा दायित्वों ) का विवरण, चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित वार्षिक विवरणी के रूप में अथवा चुनावी उम्मीदवारी के लिए भरे जाने वाले निर्वाचन आयोग के प्रपत्र में प्रस्तुत करना होगा।

पहले मंत्रियों की संपत्ति पटल पर रखने की थी परंपरा

इससे पहले भी मंत्रियों की चल-अचल संपत्ति की जानकारी सदन के पटल पर रखने का रिवाज रहा है, लेकिन उसमें विधायक शामिल नहीं थे। अब जो संकल्प लाया गया है, उसमें विधायक भी शामिल होंगे। सुंदरलाल पटवा ने मुख्यमंत्री रहते वर्ष 1990 में मंत्रियों की संपत्ति का विवरण विधानसभा के पटल पर रखने की शुरुआत की थी। वर्ष 1993 में दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री बनने पर इसे जारी रखा। दो-दो साल छोड़कर 2003 तक यह सिलसिला चला। वर्ष 2008 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी संपत्ति की जानकारी सदन के पटल पर रखी थी। इसके बाद 2010 में पहली बार उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की। वर्ष 2013 तक लगातार चार वर्षों तक मंत्रिमंडल के सदस्य इसकी जानकारी देते रहे। इसके बाद यह सिलसिला थम गया। अब संकल्प के अनुसार विधायकों को हर साल अपनी संपत्ति की जानकारी विधानसभा को देना होगी। 

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