विधानसभा: हत्या, बलात्कार और चौपट कानून व्यवस्था को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा

भोपाल
राजधानी में तीन साल के वरुण मीणा की जघन्य हत्या, बलात्कार और चौपट कानून व्यवस्था को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सदन में कानून व्यवस्था में राज्य सरकार के फेल होने को लेकर स्थगन प्रस्ताव लाकर चर्चा की मांग कर रहे विपक्ष के हंगामे का सत्ता पक्ष ने विरोध किया। काफी देर तक जब हंगामा चलता रहा तो विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने विधानसभा की कार्रवाई पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद जब फिर सदन समवेत हुआ तो इसी मसले को लेकर हंगामा जारी रहा। यह देखते हुए अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही प्रश्नकाल तक के लिए स्थगित कर दी।

चार दिन के अवकाश के बाद बुधवार को जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अध्यक्ष प्रजापति की ओर मुखातिब होकर राजधानी में हुई तीन साल के वरुण की हत्या का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि पूरा प्रदेश त्राहिमाम कर रहा है। उन्होंने बच्चियों के साथ हो रही बलात्कार की घटनाओं और कानून व्यवस्था को लेकर सदन में चर्चा की मांग की।

प्रश्नकाल के बाद जब सदन समवेत हुआ और शून्यकाल की कार्यवाही शुरू हुई तो पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अध्यक्ष से बोलने की अनुमति मांगी। इस पर अध्यक्ष ने प्रस्ताव के आधार पर सिर्फ पूर्व सीएम शिवराज को बोलने की अनुमति दी। पूर्व सीएम चौहान ने कहा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था चरमरा गई है। हत्या, लूट, बलात्कार, डकैती की घटनाएं छह माह में बढ़ी हैं। अपहरण उद्योग चालू हो गया है। इस दौरान उन्होंने मई व जून में घटित घटनाओं का ब्यौरा सदन में रखना शुरू किया तो मंत्री डॉ गोविन्द सिंह ने विरोध किया।

शिवराज बोलते रहे और मंत्री सिंह की टोकाटाकी चलती रही। इससे शिवराज नाराज हो गए और अध्यक्ष से मुखातिब होकर कहा कि सत्ता पक्ष बोलने नहीं दे रहा है। इस पर सारा विपक्ष साथ खड़ा हो गया। हंगामे व बहस के बीच अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि 15 मिनट तक जो कुछ भी होगा, वह रिकार्ड नहीं किया जाएगा। इस बीच अध्यक्ष ने प्रतिवेदन पढ़ना शुरू किए तो विपक्ष ने बात नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया। इसके बाद सदन के बाहर विपक्ष के नेता काफी देर तक नारेबाजी करते रहे।

नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी पूर्व सीएम की बात का समर्थन करते हुए प्रश्नकाल के दौरान स्थगन प्रस्ताव लाकर कानून व्यवस्था पर चर्चा कराने की बात अध्यक्ष से कही। इस पर मंत्री जीतू पटवारी,गोविन्द सिंह, प्रद्युम्न तोमर ने विरोध जताते हुए कहा कि भाजपा के शासन में इससे अधिक अपराध होते रहे हैं। वे विपक्ष की मांग मंजूर नहीं करने के लिए कहते रहे। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि बजट पर चर्चा के दौरान स्थगन प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। आपके विषय को कैसे लूं, इस पर विचार करूंगा। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस पर कहा कि बजट के दौरान भी 25 बार स्थगन प्रस्ताव पूर्व में लाए जा चुके हैं। इसलिए स्थगन प्रस्ताव लाया जाए। अध्यक्ष प्रजापति ने इससे इनकार किया तो विपक्ष के विधायक गर्भगृह में पहुंच गए।

मंत्री पटवारी ने इस मौके पर कहा कि जब बैट बल्ले चल रहे थे तब पूर्व सीएम शिवराज कहां चले गए थे? उज्जैन कांड की भी जांच करा ली जाए। विधायक भूपेंद्र सिंह ने कहा कि एमपी अपराधियों का टापू बन गया है। बच्चे जलाए जा रहे हैं। इस दौरान सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच हंगामा जारी रहा। कांग्रेस की ओर से मंत्री गोविन्द सिंह , पटवारी, सुरेंद्र सिंह बघेल, उमंग सिंघार, पीसी शर्मा, ओमकार सिंह मरकाम समेत अन्य विधायकों ने विरोध किया तो विपक्ष की ओर से शिवराज, भार्गव, नरोत्तम के अलावा भूपेंद्र सिंह समेत अन्य विधायक कांग्रेस के घेरते रहे।

नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन में तेज आवाज में कहा कि पूरा प्रदेश अपराध से धधक रहा है। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्नकाल चलने दें। नियम प्रक्रिया का पालन करें, इसके बाद कक्ष में आकर मिलें। जब अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान गृह विभाग की चर्चा हो तो अपनी बात रखें। इस पर भार्गव ने कहा कि मासूमों को जलाया जा रहा है, बच्चियों से बलात्कार हो रहे हैं तो क्या दूसरे प्रश्न करें। सदन इस मामले में ही चर्चा कराएं।

पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इसके पहले विधानसभा परिसर में मीडिया से चर्चा में कहा कि भोपाल में मासूम वरुण की हत्या की घटना वीभत्स और जघन्य है। यह सरकार कानून व्यवस्था संभालने में नाकाम है। हर मोर्चे पर सरकार विफल रही है। दतिया जिले में सात हत्याएं हो चुकी हैं। सरकार थानों की बोली लगाने में व्यस्त है। इसलिए पुलिस अपराधों पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है।

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