विदेश से दो महीने में लौटे 15 लाख यात्री, निगरानी में सब नहीं

 
नई दिल्ली

कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सबसे बड़ी चिंता ऐसे संदिग्ध लोगों को लेकर है, जो विदेश से यहां आने के बाद निगरानी में नहीं हैं। शुक्रवार को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने कहा कि पिछले दो महीने में 15 लाख से ज्यादा लोग विदेश से भारत आए हैं। लेकिन इनकी असल तादाद और निगरानी में रखे गए लोगों के आंकड़े में अंतर आ रहा है। केंद्र सरकार ने अब राज्यों और सभी केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर बाकी लोगों का पता लगाने को कहा है।
कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने कहा है कि अगर इन लोगों का पता नहीं लगाया गया तो कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ चल रही सारी कवायद को झटका लग सकता है। सरकार इन लोगों का पता न लगने के चलते चिंतित है क्योंकि अन्य देशों से लौटने वाले लोगों में से कई कोविड- 19 पॉजिटिव मिले हैं। कैबिनेट सचिव ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि जो लोग स्क्रीनिंग और क्वॉरेंटाइन निगरानी प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए हैं उनकी जरूरी जांच की जाए।

इनमें से कई लोग घर और इंस्टीट्यूश्नल क्वॉरेंटाइन कार्यक्रमों का हिस्सा रहे, जिन्हें विदेश से आए लोगों के लिए चलाया गया था। लेकिन अधिकारियों को आशंका है कि इनमें कहीं न कहीं 'कुछ गैप' रह गया है। राज्यों को गायब लोगों को ट्रैक करने को कहा गया है क्यों अंतरराष्ट्रीय यात्राएं ही देश में कोविड- 19 केसों की मुख्य वजह है।

इनमें से ज्यादातर लोग 14 दिन का अपना क्वॉरेंटाइन पीरियड पूरा भी कर चुके होंगे और वे अब सुरक्षित होंगे। लेकिन इनमें से कुछ संदिग्ध सकते हैं, जो इस वायरस को समुदाय में फैलाने का खतरा पैदा कर सकते हैं।

राजीव गौबा ने बताया कि गृह मंत्रालय के इमिग्रेशन ब्यूरो ने राज्यों के साथ ऐसे 15 लाख से ज्यादा लोगों की डिटेल साझा की थी, जिनकी मॉनिटरिंग की जानी थी, लेकिन जिनकी मॉनिटरिंग हो रही है वह संख्या सही संख्या से कम है। ऐसे में यह जरूरी है कि बाकी लोगों को भी इस निगरानी में लिया जाए ताकि इस महामारी को फैलने से रोका जा सके।

सरकार से जुडे़ एक सूत्र ने कहा कि हम भारत में विदेश से आए लोगों पर पैनी निगाह रख रहे हैं। खासतौर से उन लोगों पर जो मार्च में ही भारत लौटे हैं। केंद्र ने राज्यों से तुरंत इस दिशा में कदम उठाने को कहा है।
 

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