विक्रम लैंडर का मलबा मिलने के NASA के दावे पर ISRO चीफ ने दिया ये बयान

नई दिल्ली 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा पर भारत के चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के मलबा मिलने का दावा करते हुए उसकी एक तस्वीर साझा की। इस पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चीफ के सिवन ने कहा है कि हमारे खुद के ऑर्बिटर ने सबसे पहले लैंडर विक्रम के मलबे को खोज निकाला था। उन्‍होंने कहा कि हमने पहले ही इसकी घोषणा इसरो की वेबसाइट पर कर दी थी। आप बेवसाइट पर जाकर इसे देख भी सकते हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का सात सिंतबर को लैंडिंग के कुछ मिनट पहले ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था।

आपको बता दें कि नासा ने अपने लूनर रिकॉनसन्स ऑर्बिटर (एलआरओ) से ली गई तस्वीरें साझा की थीं। इसमें विक्रम के टकराने की जगह और बिखरा हुआ मलबा दिखाया है। लैंडर के हिस्से कई किलोमीटर तक लगभग दो दर्जन स्थानों पर बिखरे हुए हैं। तस्वीर में हरें रंग की बिंदुओं से विक्रम लैंडर का मलबा रेखांकित किया है। वहीं नीले रंग की बिंदुओं से चांद की सतह में क्रैश के बाद आए फर्क को दिखाया है। ‘एस’ अक्षर के जरिये लैंडर के मलबे को दिखाया गया है। इसकी पहचान भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर शनमुग सुब्रमण्यम उर्फ शान ने की है। नासा ने इसके लिए शान का धन्यवाद दिया। 

बेहतर पिक्सल ने काम आसान किया :- 
नासा ने कहा कि पहले की तस्वीरें जब मिलीं थीं, तब खराब रोशनी के कारण प्रभावित स्थल की आसानी से पहचान नहीं हो पाई थी। इसके बाद 14 -15 अक्तूबर और 11 नवंबर को दो तस्वीरें हासिल की गईं। एलआरओसी दल ने इसके आसपास के इलाके में छानबीन की। इस दौरान उसे प्रभावित स्थल (70.8810 डिग्री दक्षिण, 22.7840 डिग्री पूर्व) तथा वहां पड़ा मलबा मिला। नासा के अनुसार, नवंबर में मिली तस्वीर के पिक्सल (0.7 मीटर) और रोशनी (72 डिग्री इंसीडेंस एंगल) सबसे बेहतर थे।  

लैंडिंग के वक्त टूटा था विक्रम से संपर्क :-
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सात सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जानी थी। हालांकि, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से 2.1 किमी पहले ही इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया था। विक्रम लैंडर दो सितंबर को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग हुआ था। इसरो से संपर्क टूटने के 87 दिन बाद लैंडर को तलाशा गया है। भारत का यह अभियान सफल हो जाता, तो वह अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन जाता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *