लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ‘बड़े भाई’ की भूमिका में नहीं

 नई दिल्ली
 
लोकसभा चुनाव में हार के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच विधानसभा चुनाव में गठबंधन तय है। 

गठबंधन में हालांकि इस बार कांग्रेस ‘बड़े भाई’ की भूमिका में नहीं होगी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन एनसीपी के मुकाबले कमजोर रहा है, ऐसे में विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच बराबरी के आधार पर सीट बंटवारा हो सकता है। 

हमेशा एनसीपी से अधिक सीटें लीं

महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के बीच गठबंधन काफी पुराना है लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनाव गठबंधन में कांग्रेस हमेशा ‘बड़े भाई’ की भूमिका में रही है। गठबंधन के दौरान कांग्रेस हमेशा एनसीपी से अधिक सीट लेती रही है लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई है। ऐसे में कांग्रेस के लिए स्थितियां आसान नहीं रह गई हैं।

दोनों के वोट प्रतिशत में कम अंतर

कांग्रेस और एनसीपी ने हाल में संपन्न हुआ लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था। कांग्रेस 26 और एनसीपी 22 सीटों पर लड़ी थी। कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई था जबकि एनसीपी ने चार सीटें जीती थीं। वोट प्रतिशत में दोनों दलों के बीच कोई ज्यादा अंतर नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि 2014 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले कांग्रेस एनसीपी दोनों दलों का वोट प्रतिशत कम हुआ है।

अकेले लड़ने का नुकसान 

पिछला विधानसभा चुनाव दोनों ने अलग-अलग लड़ा था। अकेले चुनाव लड़ने से कांग्रेस के वोट प्रतिशत में लगभग चार फीसदी की कमी आई है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 42 और एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं। 

कांग्रेस का जनाधार घटा

एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस लगातार जनाधार खो रही है। पिछले बीस वर्षों से उसका वोट प्रतिशत लगातार कम हो रहा है। ऐसे में हम गठबंधन में सीट बंटवारे में बराबरी की मांग करेंगे।

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