लॉकडाउन नहीं लगता तो भयावह हो जाते हालात, देश में 8.2 लाख होते कोरोना संक्रमित

 
नई दिल्ली 

कोरोना वायरस ने भारत समेत पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया है. हिंदुस्तान समेत कई देशों ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन कर दिया है. फिलहाल इस जानलेवा वायरस से निपटने का सबसे कारगर तरीका लॉकडाउन, कंटेनमेंट और सोशल डिस्टेंसिंग है. इन सबके बावजूद भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है.

हिंदुस्तान में अब तक 7528 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 242 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 643 लोग ठीक हो चुके हैं. अगर मोदी सरकार ने 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन नहीं किया होता, तो अब तक हालात बेहद खराब हो गए होते.
 
शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि अगर देशव्यापी लॉकडाउन और कंटेनमेंट नहीं किया गया होता , तो कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में 41 फीसदी का इजाफा होता और 15 अप्रैल तक कोरोना की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या 8 लाख 20 तक पहुंच जाती.
 
अगर सिर्फ कंटेनमेंट किया गया होता, तो 15 अप्रैल तक कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या एक लाख 20 हजार तक पहुंच जाती है. शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में कल कोरोना वायरस से 40 लोगों की मौत हुई, जबकि कोरोना के 1035 नए मामले सामने आए.
 

उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत ने तेजी से तैयारी की है. देश में 586 COVID19 अस्पताल और एक लाख से अधिक आइसोलेशन बेड और 11 हजार 500 आईसीयू बेड की व्यवस्था की गई है. अब तक देश में एक लाख 71 हजार 718 लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है. शुक्रवार को 16 हजार 564 लोगों की कोरोना जांच की गई.

वहीं, गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि शनिवार को गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खत लिखकर अनुरोध किया है कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को आवश्यकता अनुसार सुरक्षा प्रदान की जाए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *