लखनऊ के 60 फीसदी थाना प्रभारी ठाकुर या ब्राह्मण, यादव एक भी नहीं

 
लखनऊ 

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सपा के 'यादववाद' और मायावती के 'जाटववाद' के खिलाफ सड़क से लेकर विधानसभा तक लड़ती रही है. अखिलेश सरकार में नियुक्तियों पर सवाल खड़े करने से लेकर पुरस्कार वितरण तक में जातिवाद का इल्जाम बीजेपी लगाती रहती थी, लेकिन अब योगी सरकार उसी राह पर है. लखनऊ के 60 फीसदी थानों की जिम्मेदारी क्षत्रिय या ब्राह्मण समुदाय के पास है, लेकिन लखनऊ के 43 थानों में से एक पर भी यादव थाना प्रभारी नहीं है.

प्रदेश के चर्चित आईजी अमिताभ ठाकुर की पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर ने सूचना के अधिकार के तहत लखनऊ के थाना प्रभारियों की सूचना मांगी थी. इस आरटीआई पर एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी ने 25 जून 2019 के लखनऊ के थाना प्रभारियों की सूचना दी है, सूचना के मुताबिक राजधानी के ज्यादातर थानों में क्षत्रिय या ब्राह्मण समुदाय के प्रभारी नियुक्त हैं.

लखनऊ के कुल 43 थाने हैं, जिनमें से 14  थानों पर क्षत्रिय, 11 पर ब्राह्मण, 9 पर अन्य पिछड़ा वर्ग, 8 पर अनुसूचित जाति और महज 1 थाने पर सामान्य मुस्लिम थाना प्रभारी नियुक्त है. इस प्रकार लखनऊ के कुल थाना प्रभारियों में 60 फीसदी थाना प्रभारी क्षत्रिय या ब्राह्मण जाति के हैं, जिसमें अकेले क्षत्रिय जाति के एक-तिहाई थाना प्रभारी हैं.

इसके विपरीत अन्य पिछड़ा वर्ग के मात्र 20 फीसदी और अनुसूचित जाति के 18 फीसदी थाना प्रभारी वर्तमान समय में लखनऊ में तैनात हैं. आरटीआई से मांगी गई सूचना के अनुसार पिछड़ा वर्ग में 6 थाना प्रभारी कुर्मी, 1 काछी, 1 मौर्य और 1 मुस्लिम हैं. जबकि लखनऊ के किसी भी थाने में यादव समुदाय का कोई भी थाना प्रभारी नियुक्त नहीं है.

लखनऊ जिले में दो 2 मुस्लिम थानाध्यक्ष हैं, जिनमे सामान्य वर्ग के फरीद अहमद अलीगंज और पिछड़ा वर्ग के मोहम्मद अशरफ थाना जानकीपुरम में तैनात हैं. इस पर आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने कहा कि थाना प्रभारियों की तैनाती में शासनादेश का साफ उल्लंघन है.

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