रोहित गृह निर्माण सहकारी समिति की जांच पूरी, 40 संचालक मंडल के सदस्यों को गड़बड़ी में शामिल होने का दोषी

भोपाल
लंबे समय से विवादों में चल रही रोहित गृह निर्माण सहकारी समिति की जांच पूरी हो गई है। जांच दल में शामिल अफसरों ने जांच रिपोर्ट कार्रवाई के लिए सहकारिता आयुक्त के पास भेज दी है। सहकारिता विभाग के अफसरों द्वारा की गई जांच में यह बात सामने आई है कि 13 मार्च, 2008 को सीबीआई द्वारा संस्था के दफ्तर पर छापा मारा था, यहां से उन्होंने समिति का रिकॉर्ड जब्त कर लिया था। इसकी एक सर्टिफाइड कॉपी संस्था को दे दी थी, लेकिन तत्कालीन अध्यक्ष राम बहादुर रिकॉर्ड गायब कर दिया गया।

इस पर 2003 से लेकर 2011 के बीच रहे तत्कालीन अध्यक्ष और करीब 40 संचालक मंडल के सदस्यों को गड़बड़ी में शामिल होने का दोषी ठहराया गया है। इन पर ईओडब्ब्लू के माध्यम से जांच कराकर कार्रवाई करवाने की मांग की गई है। वहीं, समिति के पुराने 325 सदस्यों ने सहकारिता विभाग के पास आवेदन पेश कर कहा है कि उन्होंने समिति में प्लॉट के लिए रुपए जमा किए थे, इसके लिए रसीद भी कटवाई थी। लेकिन अभी तक प्लॉट नहीं मिला है।

अफसरों की जांच में यह भी सामने आया है कि 2001 में निर्वाचित तत्कालीन अध्यक्ष राम बहादुर और संयुक्त संचालक बीडी निमाने ने षड्यंत्र कर समिति के खाते में सदस्यों की जमा की गई 18 करोड़ 50 लाख रुपए निकाल लिए गए थे। इसमें से ज्यादातर राशि संस्था के प्रबंधक एके शुक्ला को दी गई। इसी तरह नंदिनी एसोसिएट फर्म को विभिन्न तारीखों में लाखों रुपए का भुगतान किया गया। जांच दल ने वित्तीय अनियमितता के लिए तत्कालीन अध्यक्ष राम बहादुर के साथ ही 2001 में निर्वाचित संचालक मंडल को दोषी पाया है।

समिति में सोसायटी के अध्यक्षों ने मनमाने तरीके से 18 सदस्यों को प्लाट बांट दिए। इस मामले की जांच 5 अप्रैल, 2018 को समिति के प्रभारी अधिकारी आरके पाटिल द्वारा जांच की गई। इसमें सदस्य विजय लक्ष्मी, संदीप चौहान, मुकेश मिश्रा, महेश कुमार, हिमांशु बांगड, तेग बहादुर, डॉ सत्य नारायण, केपी जैन, रामजी प्रसाद, सुनील चौबे, ओमकारेश्वर चौबे, राम बहादुर, रंजू पत्नी राम बहादुर, रामजी प्रसाद सिंह, राजीव शर्मा, सुदामा सिंह, पद्मकांत चौकसे शामिल हैं। अफसरों ने इस मामले में एमके सिंह, घनश्याम सिंह राजपूत और सुनील चौबे को दोषी मानते हुए कार्रवाई करवाने की मांग की है।

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