रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर, नवंबर में 48 फीसदी बढ़ीं नौकरियां

नई दिल्ली

रोजगार के मोर्चे पर लगातार विरोधियों के प्रहार का सामना कर रही नरेंद्र मोदी सरकार को कर्मचारी भविष्य निधि (EPFO) ने अच्छी खबर दी है. लोकसभा चुनाव 2019 के माहौल में विपक्षी दल मोदी सरकार पर यह आरोप लगा रहे हैं कि पिछले 56 महीने में सरकार का कार्यकाल जॉबलेस रहा है. लेकिन ईपीएफओ के नवीनतम आंकड़ों में दावा किया गया है कि औपचारिक क्षेत्र में नवंबर 2018 में रोजगार सृजन 48 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 7.32 लाख तक पहुंच गया है. यह इसके पिछले 15 महीने का एक रिकॉर्ड है.

EPFO के पेरोल का नवीनतम आंकड़ा बताता है कि इसके एक साल पहले यानी नवंबर 2017 में 4.93 लाख नौकरियों का सृजन हुआ था. इस तरह ईपीएफओ के आंकड़ों से पिछले एक साल में रोजगार की तस्वीर काफी गुलाबी दिख रही है. EPFO के आंकड़ों में दावा किया गया है कि सितंबर 2017 से नवंबर 2018 के बीच सोशल सेक्टर की योजनाओं से 73.50 लाख नई नौकरियों का सृजन हुआ है.

आंकड़ों पर सचेत भी किया

हालांकि ईपीएफओ ने इस बारे में सचेत भी किया है कि ये आंकड़े प्रोविजनल हैं, क्योंकि रोजगार रिकॉर्ड का अपडेशन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. ईपीएफओ द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि इस आकलन में वे सभी कर्मचारी शामिल होते हैं, जिनके बैंक एकाउंट आधार से लिंक होते हैं और वे कर्मचारी भी जो अस्थायी होते हैं. हो सकता है इनमें से बहुत का पीएफ में योगदान बाद में बंद हो जाए.

गौरतलब है कि करीब 6 करोड़ सक्रिय सदस्यों के साथ ईपीएफओ देश में संगठित और अर्द्ध संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के सोशल सिक्योरिटी फंड का प्रबंधन करता है.

मजेदार तथ्य यह है कि सितंबर 2017 से अक्टूबर 2018 तक के जॉब क्रिएशन आंकड़ों की ईपीएफओ द्वारा समीक्षा के बाद इसमें 16.4 फीसदी की गिरावट आई है. ईपीएफओ के 79.16 लाख के अनुमानित पेरोल डेटा के मुकाबले यह महज 66.18 लाख ही रहा. इस वित्त वर्ष की बात करें तो मार्च 2018 में ईपीएफओ से सबसे कम महज 55,800 सब्सक्राइबर जुड़े. नवंबर में सबसे ज्यादा रोजगार 18 से 21 साल वाले युवाओं को मिला.

गौरतलब है कि पिछले चार साल में बेरोजगारी और नौकरियों में आ रही गिरावट के मसले पर सरकार को आलोचना झेलनी पड़ रही है. मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वायदा किया था, लेकिन यह आंकड़ा सालाना एक करोड़ भी पार नहीं कर पाया है. नौकरियों के मामले में सबसे बड़ी समस्या स्किल की है. इसलिए मोदी सरकार ने युवाओं के स्किल विकास पर काफी जोर दिया है. दूसरी तरफ मोदी सरकार मुद्रा लोन जैसी अपनी अलग-अलग योजनाओं से युवाओं को काम मिलने के दावे भी करती रही है.

उद्योग चैंबर फिक्की और अर्न्स्ट एंड यंग की उच्च शिक्षा पर जारी एक रिपार्ट में कहा गया था कि भारत में तकरीबन 93 फीसदी एमबीए होल्डर्स और 80 फीसदी ग्रेजुएट इंजीनियर इसलिए बेरोजगार हैं क्योंकि इन्हें शिक्षा संस्थानों में जो सिखाया जाता है वह उद्योग जगत की आवश्यकताओं के अनुकूल नहीं है.

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