रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है मुलेठी
बदलते मौसम में अधिकतर लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसकी वजह मुख्य रूप से लगातार घटता-बढ़ता तापमान होता है, जिसके साथ हमारे शरीर को संतुलन बनाने करने में दिक्कत होती है। इस स्थिति में शरीर को एक्स्ट्रा सपॉर्ट की जरूरत होती है, जो उसे एजेस्टमेंट के लिए एनर्जी दे सके। मुलेठी एक ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधि है, जो हमारी बॉडी में पॉवर बूस्टर की तरह काम करती है…
ऐसा नहीं है कि मुलेठी का सेवन तभी करना चाहिए, जब हम किसी रोग के शिकार हो चुके हों। अगर आप चाहते हैं कि आप हमेशा हेल्दी और फिट रहें तो आप निश्चित मात्रा में मुलेठी का सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं। इसके सेवन से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस हमारे शरीर पर जल्दी से अटैक नहीं कर पाते हैं। यही वजह है कि कोरोना वायरस बचने के लिए भी हेल्थ एक्सपर्ट मुलेठी के सेवन की सलाह दे रहे हैं। इसे लिक्यॉरस (Liquorice) और लिकरिस (liquorice) नाम से भी जाना जाता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
मुलेठी का नियमित सेवन हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मुलेठी में जो एंजाइम्स पाए जाते हैं वे शरीर में लिंफोसाइट्स (lymphocytes) और (macrophages) का उत्पादन करने में मदद करते हैं। लिंफोसाइट्स और मैक्रोफेज शरीर को बीमार बनानेवाले माइक्रोब्स, पॉल्यूटेंट, एलर्जी और उन हानिकार सेल्स को शरीर में विकसित होने से रोकते हैं, जो हमें ऑटोइम्यून सिस्टम से संबंधित बीमारियां दे सकते हैं।
इन बीमारियों में है लाभकारी
चलिए अब इस बात पर अपनी जानकारी बढ़ाते हैं कि मुलेठी का नियमित सेवन हमें किन बीमारियों से दूर रखता है और किन बीमारियों से मुक्ति दिलाता है…
गले के रोग के रोगों से बचाए
मुलेठी गले, कान, आंख और नाक में होनेवाले लोगों से बचाती है। आमतौर पर हमें कोई भी संक्रमण सांस और गले के जरिए होता है। जैसे खांसी, फ्लू, छींके आना आदि। ऐसे में अगर आपको लगता है कि आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ गए हैं और गले या नाक में तकलीफ हो सकती है तो मुलेठी के छोटे से टुकड़े पर शहद लगाकर उसे टॉफी की तरह चूसते रहें। गले में आए हुए बैक्टीरिया पनप नहीं पाएंगे।
कफ की समस्या दूर करे
मुलेठी खांसी में बहुत अधिक लाभकारी होती है। खासतौर पर गीली खांसी में। गीली खांसी यानी वह स्थिति जब खांसते वक्त कफ आता है। इस खांसी में मुलेठी को शहद में मिलाकर चाटने से लाभ होता है। आप एक छोटी चम्मच से आधा चम्मच मुलेठी लें और उसे एक चम्मच शहद में मिला लें। इस मिश्रण को धीरे-धीरे चाटकर खाएं। आप यह प्रक्रिया दिन में अधिक से अधिक तीन बार अपना सकते हैं।
अस्थमा जैसे रोगों से बचाए
मुलेठी का नियमित सेवन अस्थमा जैसे रोगों से बचाए रखता है। क्योंकि इसमें कफोत्सारक (Expectorant) गुण होते हैं। ये शरीर के वायु मार्ग में कफ के उत्सर्जन को संतुलित बनाए रखने का काम करते हैं। इसके सेवन से व्यक्ति ब्रोंकाइटिस (Bronchitis), गले में सूजन और अस्थमा जैसे रोगों से बचा रहता है।