रेग्युलर वर्कआउट से कंट्रोल में रहेगा डायबीटीज

दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली बीमारी डायबीटीज एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो गई तो इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। हेल्दी लाइफस्टाइल, स्ट्रिक्ट डायट और रेग्युलर वर्कआउट के जरिए आप इस बीमारी को सिर्फ कंट्रोल में रख सकते हैं। डायबीटीज के मरीजों में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में एक्सर्साइज, वर्कआउट और फिजिकल ऐक्टिविटी की भूमिका को डॉक्‍टर भी मानते हैं इसीलिए वे भी डायबीटीज से पीड़ित लोगों को एक्सर्साइज करने की सलाह देते हैं। डायबीटीज के मरीजों को किस तरह की एक्सर्साइज करनी चाहिए यहां जानें…

​जॉगिंग/रनिंग/ब्रिस्क वॉकिंग
डायबीटीज के मरीजों के लिए बेहद जरूरी है कि वे अपने ब्लड शुगर लेवल के साथ-साथ अपने वजन पर भी नजर रखें क्योंकि डायबीटीज में अगर आपका वजन बढ़ा तो मोटापे की वजह से आपकी समस्याएं और बीमारी और ज्यादा बढ़ जाएगी। लिहाजा हर दिन कम से कम 30 मिनट की जॉगिंग, रनिंग या ब्रिस्क वॉकिंग (तेज कदमों से चलना) जरूर करें। डायबीटीज को कंट्रोल में रखने में फिजिकल ऐक्टिविटी काफी मदद करती है।

​ऐरोबिक्स एक्‍सर्साइज
शुगर लेवल को नियमित रखने के लिए हफ्ते में कम से कम पांच दिन 30 मिनट ऐरोबिक्स एक्‍सर्साइज करनी चाहिए। या यों कहें कि एक सप्‍ताह में कुल 150 मिनट कसरत करनी चाहिए। कोशिश करें कि ऐसा न हो कि बिना कसरत किए दो दिन रहा जाए। शुरू में अधिक समय न निकाल सकें तो हर दिन 5 से 10 मिनट से शुरुआत कर सकते हैं। धीरे-धीरे समय को बढ़ाया जा सकता है।

​पिलाटेज
पिलाटेज वर्कआउट का नया ट्रेंड है और यह फिटनेस के मामले में बॉलिवुड ऐक्ट्रेसेस के बीच काफी फेमस है और डायबीटीज खासकर टाइप 2 डायबीटीज को मैनेज करने में भी पिलाटेज मदद कर सकता है। 2013 में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आयी थी कि टाइप 2 डायबीटीज से पीड़ित मरीजों की सेहत में सुधार करने के मामले में पिलाटेज बेहद असरदार और सुरक्षित एक्सर्साइज माना जाता है।

​वेट ट्रेनिंग
स्‍ट्रेंथ या वेट ट्रेनिंग करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि शरीर इंसुलिन के प्रति ज्‍यादा संवेदनशील बनता है। टाइप 2 डायबीटीज की एक वजह शरीर में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता न होना भी है। ऐसे में वेट ट्रेनिंग या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से आपकी मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत बनेंगी। डॉक्‍टर भी सलाह देते हैं कि हफ्ते में कम से कम 2 दिन स्‍ट्रेंथ ट्रेनिंग करनी चाहिए। इसमें वजन उठाना या रेसिस्‍टेंस बैंड का इस्‍तेमाल करना शामिल है।

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