राहुल की मदद के लिए बनाई जाएगी कांग्रेस वर्किंग प्रेजिडेंट की पोस्ट!

  नई दिल्ली 
लोकसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफा देने की पेशकश को कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) ने मानने से इनकार किया है। सीडब्ल्यूसी के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष को पार्टी नेतृत्व में बड़े बदलाव करने की आजादी भी दी है। ऐसी भी खबरें हैं कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने राहुल को ध्यान में रखकर ही CWC के अध्यक्ष का एक पद बनाने का प्रस्ताव दिया है। 
 
राहुल को चुनाव में हार के कारणों पर विचार करने और पार्टी को मजबूत बनाने के लिए प्रपोजल देने और एक कार्ययोजना तैयार करने के लिए कमिटी बनाने का भी सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि कमिटी के निष्कर्षों और प्रपोजल को सामूहिक विचार के लिए पूर्ण CWC मीटिंग में रखा जाना चाहिए। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पार्टी के 24, अकबर रोड स्थित मुख्यालय पर एक वर्किंग प्रेजिडेंट के मौजूद होने से पार्टी अध्यक्ष को मदद मिलेगी और राहुल को रोजाना के कामकाज से मुक्ति मिल सकेगी। इससे पार्टी अध्यक्ष संगठन और राजनीतिक कार्यों के लिए देश भर में यात्रा कर सकेंगे। केरल और पंजाब को छोड़कर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस देशभर में कमजोर स्थिति में सामने आई है। गांधी परिवार के बाहर से किसी नेता के वर्किंग प्रेजिडेंट बनने से पार्टी के अंदर भी 'सही संदेश' जाएगा क्योंकि अभी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर गांधी परिवार का लगभग नियंत्रण है। राहुल पार्टी अध्यक्ष हैं, सोनिया गांधी सीपीपी की प्रमुख हैं और एआईसीसी की जनरल सेक्रेटरी के तौर पर प्रियंका को जिम्मेदारी दी गई है। 

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अंतिम निर्णय लेने के लिए राहुल को पूरी तरह अधिकार देते हुए कहा कि 1983 में कांग्रेस की दक्षिण में हार के बाद इंदिरा गांधी ने वरिष्ठ नेता कमलापति त्रिपाठी को कांग्रेस वर्किंग कमिटी का अध्यक्ष बनाया था। 
 
राहुल के इस्तीफे को CWC ने 'एकमत' से नकार दिया था और प्रियंका गांधी ने मीटिंग में कहा था कि किसी एक व्यक्ति को कांग्रेस की हार की पूरी जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने अपने भाई से पार्टी की कमान अपने पास बरकरार रखने का निवेदन किया था। इसे कांग्रेस वर्किंग कमिटी और गांधी परिवार के एक दिशा में कार्य करने का संकेत माना जा रहा है। गांधी परिवार के वफादारों का कहना है कि केवल राहुल का देश भर में आकर्षण है और वह कांग्रेस को एकजुट रख सकते हैं। 

राहुल और एआईसीसी को केंद्र और राज्यों के स्तर पर नए नेताओं की एक टीम तैयार करनी होगी। राहुल की युवा ब्रिगेड के अधिकतर सदस्य राजनीतिक तौर पर कमजोर दिखे हैं और पार्टी के बहुत से वरिष्ठ नेताओं पर अब थकान हावी हो रही है। 

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