राज्य के पहले सरकारी चाय प्रोसेसिंग यूनिट में काम हुआ शुरू

जशपुरनगर
ग्राम सारूडीह का चाय बागान पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इस बागान को देखने के लिए पर्यटक पहुंच रहे हैं। मात्र दस रुपए की फीस में चाय के बागान का अद्भुत नजारा उन्हें दार्जिलिंग, ऊंटी और असम में होने का अहसास कराता है। महिला समूह को विगत नौ माह में 50 हजार रुपए से अधिक की आमदनी हो गई है।
अनुपयोगी जमीन पर बनाया गया है चाय बगान

    सारूडीह का चाय बागान पर्वत और जंगल से लगा हुआ है। अनुपयोगी जमीन में बागान बन जाने से आस पास न सिर्फ हरियाली है, पर्यटन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी सारूडीह और जशपुर की पहचान बढ़ रही है। चाय के बागान से पानी और मृदा का संरक्षण हुआ।

    चाय बगान के बीच में मसालों की भी खेती

    बागान में चाय के पौधों को धूप से बचाने लगाए गए शेड ट्री को समय-समय पर काटा जाता है, जिससे जलाऊ लकड़ी भी गांव वालों को आसानी से उपलब्ध हो जाती है। यहां बागान के पौधों के बीच में मसाला की खेती को भी आजमाया जा रहा है। सफलता मिली तो आने वाले दिनों में मसाला उत्पादन में भी जशपुर जिले का नाम होगा।

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