राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के साथ विश्वविद्यालयों से विदा हुआ बार कोडिंग

भोपाल
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को मप्र से उप्र भेज दिया गया है। उनकी विदाई के साथ ही प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों से बार कोडिंग भी विदा हो चुकी है। वर्तमान में राज्य में सिर्फ दो विवि बारकोडिंग से परीक्षाएं कराने करा रहे हैं। शेष विवि ने बारकोडिंग की तरफ मुडकर भी नहीं देखा है।

राज्यपाल लालजी टंडन ने रिजल्ट नहीं आने पर विश्वविद्यालयों पर शिकंजा कसना भी शुरू कर दिया है। यहां तक उच्च शिक्षा विभाग ने एक दर्जन विवि को नोटिस देकर जवाब तक तलब करना शुरू कर दिया है। रिजल्ट में विलंब के बादलों को हटाने के लिए एक साल पहले तत्कालीन राज्यपाल आनंदी बने पटेल सभी विवि को बार कोडिंग की उत्तर पुस्तिकाओं से परीक्षाओं कराने के आदेश समन्वय समिति में दिए थे। जब तक राज्यपाल पटेल मप्र में ही विवि ने ताबड़तोड़ तरीके से बार कोडिंग से परीक्षाएं कराने के लिए उत्तर पुस्तिकाएं तैयार कराने की व्यवस्थाएं भी जमाना शुरू कर दिया था। उनकी विदाई के आदेश आते ही विवि में पदस्थ कुलपति और रजिस्ट्रार ने राहत की सांस की और बार कोडिंग को ठंडे बस्ते में डाल दिया। मप्र में आज सिर्फ राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और जीवाजी विवि ग्वालियर सिर्फ उत्तर पुस्तिकाओं में बार कोडिंग करा रहे हैं।

जीवाजी में बिगड़ा गणित
जीवाजी विवि ने टेंडर कर एक कंपनी को बार कोडिंग का ठेका दिया था। कंपनी ठेका संभाल नहीं सकी। इसके कारण जीवाजी विवि में रिजल्ट तैयार करने में विलंब जरुर हुआ है। रजिस्ट्रार आईएम मंसूरी का कहना है कि वे दोबारा से बार कोडिंग करने के लिए टेंडर कर रहे हैं। इससे आगामी परीक्षाएं भी बार कोडिंग की उत्तर पुस्तिकाओं से आयोजित होंगी।

पचास पैसे में हो जाती है बार कोडिंग
उत्तर पुस्तिकाओं में बार कोडिंग कराने का अधिकतम खर्च पचास पैसे होता है। इसके बाद प्रोसेसिंग काफी आसान हो जाती है। इससे रिजल्ट तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। रजिस्ट्रार मंसूरी का कहना है कि इससे गोपनीय बरकरार रहती है। बिना बार कोडिंग में गोपनीय भंग होने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं।

 

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