राजस्थान में पहली बार कोर्ट ने दहेज देने वाले के खिलाफ दिए केस दर्ज करने के निर्देश

जोधपुर
राजस्थान में पहली बार मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत ने सोमवार को पुलिस को निर्देश दिया कि वह दहेज देने वाले दुलहन के पिता के खिलाफ केस दर्ज करें। बता दें कि शख्स ने अपने दामाद और उसके परिवारवालों के खिलाफ दहेज लेने और उनकी बेटी का उत्पीड़न करने को लेकर केस दर्ज कराया था, जिसके कुछ वर्षों बाद यह मामला सामने आया।

रिटायर हो चुके रामलाल ने अपनी बेटी के ससुरालवालों के खिलाफ वर्ष 2017 में दहेज और उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था। बता दें कि उसकी शादी एक सरकारी शिक्षक जेठमल के सॉफ्यवेयर इंजिनियर बेटे कैलाश के साथ हुई थी। रामलाल ने जोर देकर बताया कि उन्होंने एक लिफाफे के भीतर 1 लाख रुपये रखकर शादी के दौरान दूल्हे को दिए थे। इस पर जेठमल ने कोर्ट से अपील की कि रामलाल के खिलाफ दहेज देने के मामले में केस दर्ज किया जाए। लड़के पक्ष के वकील ब्रजेश पारीक ने कहा, 'बहस के दौरान रामलाल ने जोर देकर कहा कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी के वक्त दहेज दिया था। लेकिन हम कहते हैं कि यदि दहेज लेना अपराध है तो दहेज देना भी अपराध की श्रेणी में आता है। हमने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह पुलिस को रामलाल के खिलाफ दहेज देने के मामले में केस दर्ज करने का निर्देश दे।'

इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए मैजिस्ट्रेट ऋचा चौधरी ने पुलिस को रामलाल के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दे दिए। रामलाल ने अपनी शिकायत में कहा था, 'शादी के बाद, कैलाश अपनी पत्नी को छोड़कर नोएडा चला गया और सॉफ्टवेयर इंजिनियर के रूप में अपनी नौकरी जारी रखी। जब मैं अपनी बेटी को नोएडा लाया तो कैलाश ने उसे स्वीकार नहीं किया और हम दोनों को भगा दिया।'

उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि बेटी के ससुरालवालों ने दहेज के नाम पर उसका उत्पीड़न किया और अपने पति के साथ भी नहीं रहने दिया। उन्होंने कहा कि बेटी के ससुर उसके प्रति गलत भाव रखते थे। पुलिस ने मामले में जांच पूरी कर कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है, जहां पर दोनों पक्षों में बहस जारी है। प्रतीक ने कहा कि यह पहला मौका है जब हिंदू मैरेज ऐक्ट की धारा 3 के तहत दहेज के मामले में दहेज देने वाले शख्स के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।

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