रतन राजपूत ने रहन-सहन को देख घिन आने की बात पर दिया मुंहतोड़ जवाब

लॉकडाउन में फंसी रतन राजपूत जिन परिस्थितियों में रह रही हैं, उन्होंने तो उन्हें मजबूत बनाया ही है, लेकिन शायद ट्रोलर्स की भी इसमें एक अहम भूमिका रही है। पिछले करीब 2 महीनों से लॉकडाउन में बिहार के एक इलाके में फंसीं 'अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो' फेम ऐक्ट्रेस नाम मात्र की सुविधाओं के बीच जिंदगी के दिन काट रही हैं।

रेड ज़ोन इलाका होने से कुछ मिल नहीं रहा है। गैस सिलेंडर खत्म होने के कारण खुद ही चूल्हा बनाकर और जंगल से लकड़ियां बीनकर रतन राजपूत खाना बना रही हैं। लेकिन एक मोहतरमा को रतन राजपूत का यूं खाना बनाना और रहन-सहन देख इतना बुरा लगा कि उसे घिन आ गई।

रतन राजपूत को यह कतई बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने फिर जो क्लास लगाई है, उसे शायद वह फीमेल ट्रोलर ताउम्र याद रखेगी। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर रतन राजपूत ने एक वीडियो शेयर किया है। इसमें वह कहती नजर आ रही हैं, 'कुछ लोगों को गलतफहमी है कि मैं यहां गांव में हूं और इसलिए हाइजीन का ख्याल नहीं रख रही। उन लोगों से मैं कहना चाहूंगी कि मैं जो यहां कर रही हूं, उसे अडजस्टमेंट कहते हैं। अडैप्टेशन कहते हैं। मैं यहां पर अडजस्ट करने की कोशिश कर रही हूं। मेरे पास यहां पर और कोई चारा नहीं है। मैं यहां पर सैनिटाइजर की फैक्ट्री नहीं खोल सकती। मेरे पास यहां जो भी सुविधाएं उपलब्ध हैं, उन्हीं में अपनी हाइजीन का ख्याल रखने की कोशिश कर रही हूं।'

'किस चीज से घिन आ रही है बहनजी?'
रतन राजपूत ने आगे उस फीमेल ट्रोलर का भी जिक्र किया, जिसने उन्हें अनहाइजीनिक कहा। वह बोलीं, 'एक मिस हैं, जिनका नाम मैंने ही मिस यक्क रखा है। उन्होंने यहां की मेरी लाइफस्टाइल और कुकिंग पैटर्न को लेकर एक शब्द यूज़ किया है जोकि मुझे बड़ा ही 'यक्क' लगा। वह कह रही है, 'कितना गंदा है। यक्क'। किस चीज से घिन आ रही है बहनजी? आपको नहीं पता कि यहां जो किसानों की लाइफ है, उसी की बदौलत आप अर्बन लाइफ इतनी आसानी से एसी में बैठकर गुजार पा रही हैं। आपको जो खाना सर्व हो रहा है, चाहे पिज्जा हो या पास्ता। उसका रॉ मटीरियल इसी मिट्टी से निकलकर आता है।'

'गांव की लाइफ से घिन आती है तो एक बार गांव जाएं और रहकर दिखाएं'
रतन ने फीमेल ट्रोलर को अच्छे से सबक सिखाया और जिंदगी की बड़ी सीख भी दी। साथ ही उन्होंने कहा, 'अगर आप गांव की लाइफ के लिए 'यक्क' फील करती हैं। घिन आती है तो एक बार गांव जाएं और देखें कि वहां की लाइफ कैसी होती है। एक हफ्ते ऐसे ही रहकर दिखा दें जैसे मैं रह रही हूं। फिर मैं मान जाऊंगी और वह शब्द भी स्वीकार कर लूंगी। मैम ये बिल्कुल भी आसान नहीं है। बहुत मुश्किल है।'

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