यौन उत्पीड़न के आरोपों पर चीफ जस्टिस, ऐसे अपमान होगा तो कौन बनेगा जज?

 
नई दिल्ली 

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर एक महिला द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों की सुनवाई की। इस दौरान इस दौरान अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल भी पेश हुए। चीफ जस्टिस ने ऐसे आरोप पर नाराजगी जताते हुए यहां तक कह दिया कि अगर ऐसे आरोप लगेंगे तो कौन समझदार जज बनना चाहेगा?  बता दें कि सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस से अलावा वहां सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, जस्टिस मिश्रा और जस्टिस खन्ना मौजूद थे। न्यायिक व्यवस्था पर खतरे की बात कहते हुए वहां सीजेआई ने कहा, 'न्यायतंत्र की स्वतंत्रता खतरे में है। अगर जजों को ऐसे अपमानित किया जाएगा तो कोई अच्छा शख्स जज क्यों बनना पसंद करेगा? कौन जज बनना चाहेगा और सिर्फ 6.8 लाख रुपये के बैंक बैलेंस के साथ रिटायर होना चाहेगा?' 
'करूंगा अहम केसों की सुनवाई' 
अपनी सफाई में रंजन गोगोई ने यह भी कहा कि उनके ऊपर ऐसे आरोप इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि अगले हफ्ते उन्हें कुछ अहम केसों की सुनवाई करनी है। इसमें राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस, पीएम मोदी पर बनी फिल्म पर लगी रोक पर सुनवाई जैसे मामले शामिल हैं। गोगोई ने साफ किया कि वह अपने 7 महीने के बचे कार्यकाल में बचे सभी की सुनवाई करेंगे और उन्हें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता। 
सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा? 
चीफ जस्टिस: जज को इस तरह की स्थिति में काम करना पड़ेगा तो कोई भी समझदार व्यक्ति यहां काम करने नहीं आएगा। मैं उस कमिटी का हिस्सा नहीं बनूंगा जो कमिटी महिला के आरोपों की जांच करेगी। इस मामले में हमारे सहयोगी जज मामले को एग्जामिन करेंगे। मुझे मौजूदा बेंच का गठन करना पड़ा क्योंकि ये मेरी जिम्मेदारी है और ये असाधारण कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है। महिला का ये आरोप अकल्पनीय है। मैं समझता हूं कि ये उचित नहीं होगा कि आरोप का जवाब भी दूं क्योंकि ये भी आपको नीचे ले जाता है। कुछ ताकतें इसके पीछे हैं जो चीफ जस्टिस के दफ्तर को निष्क्रिय करना चाहती हैं। 
 

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