योगी सरकार के तीन साल: कैसा है चर्चा में रहे ‘ऐंटी रोमियो स्क्वॉड’ का स्कोर कार्ड?

 
लखनऊ

यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार को तीन साल पूरे हो गए हैं। 2017 में सरकार बनते ही ऐंटी रोमियो स्क्वॉड का ऐलान हुआ था। इसका मकसद था प्रदेशभर के स्कूलों और कॉलेजों के बाहर लड़कियों से छेड़छाड़ रोकना, महिलाओं-लड़कियों को सुरक्षा देना, उनके खिलाफ अपराध रोकना और अपराधियों में डर बनाना। ऐंटी रोमियो सेल में महिला पुलिस को भी शामिल किया गया था। जिलों में महिला सुरक्षा के लिए हर थाने में दो ऐंटी रोमियो स्क्वॉड बनाए गए थे जिसमें 5-5 पुलिसकर्मी शामिल थे।
पहले ऐक्टिव, फिर गायब
शुरुआत में इस स्क्वॉड के नाम को सोशल मीडिया पर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। एक साल तक तो ऐंटी रोमियो स्क्वॉड काफी सक्रिय दिखा।गली-मोहल्लों से लेकर शॉपिंग मॉल, बाजार और कॉलेज-स्कूल के बाहर यह दस्ता शोहदों पर नजर रखता रहा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च 2018 तक ऐंटी रोमियो स्क्वॉड ने 26 लाख 36 हजार से ज्यादा लोगों की चेकिंग की थी।
 
कुछ ऐसे मामले भी सामने आए जिसके चलते योगी सरकार के इस अभियान को सफलता कम और आलोचना का ज्यादा सामना करना पड़ा था।ऐसे मामले सामने आई जिसमें प्रेमी जोड़े, पति-पत्नी या फिर भाई-बहन को ही पकड़कर पूछताछ की जाने लगी। यहां तक कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी सफाई दी कि मर्जी से बैठे कपल के खिलाफ कोई केस नहीं दर्ज होगा। हालांकि फिर स्काॅयड गायब सा हो गया।

महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े
यह भी गौर करने वाली बात है कि 2017 से 18 के बीच जब स्क्वॉड काफी सक्रिय था यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले काफी बढ़ गए। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में 9075 से 11,249 तक इजाफा हो गया।

शुरुआत के ही महीनों में लखीमपुर में सरेआम एक स्टूडेंट के हाथ काटने की खबर आई थी। मेरठ में एक कोचिंग जाने वाली लड़की को कुछ लड़कों ने इतना परेशान किया उसने आप को घर पर ही बंद कर लिया था। इसके बाद छेड़छाड़ के कई मामले सामने आए और ऐसी घटनाएं आए दिन हो रही हैं। लखनऊ में कुछ स्टूडेंट्स ने बताया कि इस अभियान का मकसद को अच्छा है लेकिन अभियान के नाम पर जिस तरह 'मॉरल पुलिसिंग' हुई उससे लोगों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ी। साथ ही न महिलाओं के खिलाफ अपराध में कोई कमी आई।
 
विपक्ष ने उठाए सवाल
यूपी कांग्रेस के नेता अंशू अवस्थी कहते हैं, 'ऐंटी रोमियो स्क्वॉड सरकार का महिलाओं के प्रति अपराध रोकने का फ्लैगशिप प्रोग्राम था लेकिन सरकार इसके गठन के कुछ चंद दिनों बाद इसे भूल गयी, सरकार ने महिला सुरक्षा को चलाई गयी हेल्पलाइन 1090 को भी बंद कर दिया
तो ये दर्शाता है कि इस सैम्पल सरकार को किसी भी जनहित या जनसुरक्षा में गम्भीरता से रुचि नही है बल्कि सिर्फ प्रतीकात्मक काम करके प्रचार तक ही सीमित रहना चाहती है।'

पुलिस का तर्क
हालांकि आईजी लॉ ऐंड ऑर्डर ज्योति नारायण के मुताबिक ऐंटी रोमियो स्क्वॉड अभी भी सक्रिय है। उन्होंने ऐंटी रोमियो स्क्वॉड द्वारा की गई कार्रवाई का आंकड़ा बताया, '22 मार्च 2017 से 15 मार्च 2020 तक यूपी के 10 जोन में कार्रवाई हुई जिसमें कुल 79 लाख 42 लाख 124 लोगों की चेकिंग हुई जिसमें 10, 831 लोगों की गिरफ्तारी हुई और 33 लाख 34 हजार 852 लोगों को चेतावनी जारी की गई।'
 
आईजी ने बताया, 'सबसे ज्यादा मामले मेरठ से आए हैं जहां 5,55,318 केस आए, वहीं गोरखपुर में सबसे ज्यादा 2437 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इसके अलावा लखनऊ में 1058 लोगों की गिरफ्तारी हुई और 1,48,778 को चेतावनी मिली। इसी तरह कानपुर में 1365 मनचलों की गिरफ्तारी हुई और 3,38,208 लोगों को चेतावनी दी गई।'

पिछले साल दोबारा लॉन्च हुआ स्क्वॉड
ऐंटी रोमियो स्क्वॉड के शुरुआती दौर की असफलता की वजह यूपी में डेढ़ लाख पुलिसकर्मियों की कमी भी मानी गई। निकाय चुनाव, लोकसभा चुनव और कुंभ के कारण इस पर ज्यादा फोकस भी नहीं हो पाया। फर्स्ट फेज के असफल होने के बाद पिछले साल योगी सरकार ने जुलाई महीने में इसे दोबारा से लॉन्च किया।

लड़कियों की सुरक्षा के लिए स्कूलों में बालिका सुरक्षा अभियान चलाया गया। इसमें प्रशासन की ओर से बनाई गई टीमें स्कूलों और कॉलेजों में जाकर बच्चियों को जागरूक किया। इस बार इसमें छेड़खानी करने वालों लोगों को थाने बुलाकर रेड कार्ड भी जारी किया। इस रेड कार्ड में नाम, पता और पैरंट्स का नाम दिया। रेड कार्ड अंतिम चेतावनी के तौर पर था कि फिर ऐसी ही घटना में उस शख्स का नाम आता है तो उसे सीधे गिरफ्तार किया जाएगा।
 

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