यूपी में अवैध खनन मामला: अखिलेश यादव से पूछताछ कर सकती है सीबीआई

नई दिल्ली 
यूपी की चर्चित आईएएस अधिकारी बी. चन्द्रकला के आवास पर सीबीआई छापों के बाद अब अवैध रेत खनन मामले की आंच पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंचती दिख रही है। अब वह सीबीआई के रेडार पर हैं और उनसे पूछताछ हो सकती है। सीबीआई के मुताबिक 2011 के बाद से यूपी के सभी खनन मंत्रियों से पूछताछ हो सकती है। बता दें कि 2012-13 में खनन मंत्रालय तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास था। अखिलेश सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को भी सीबीआई इस सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। एफआईआर में कहा गया है, 'मामले की छानबीन के दौरान संबंधित अवधि में तत्कालीन खनन मंत्री की भूमिका की भी जांच हो सकती है।' प्राथमिकी के मुताबिक 2012 से 2017 के बीच मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव के पास 2012-2013 के बीच खनन विभाग का अतिरिक्त प्रभार था। इससे उनकी भूमिका जांच के दायरे में आ जाती है। उनके बाद 2013 में गायत्री प्रजापति खनन मंत्री बने थे और चित्रकूट में एक महिला द्वारा बलात्कार की शिकायत के बाद 2017 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। यह प्राथमिकी सीबीआई द्वारा 2 जनवरी 2019 को दर्ज किए गए अवैध खनन के मामलों से जुड़ा है। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ है, जब एक समय में चिर प्रतिद्वंद्वी रहीं एसपी और बीएसपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ बीजेपी का मुकाबला करने के लिए आपस में हाथ मिलाने के संकेत दिए हैं। सीबीआई हमीरपुर जिले में 2012-16 के दौरान अवैध रेत खनन मामले की जांच कर रही है। मामले में 11 लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में शनिवार को 14 स्थानों पर तलाशी ली गई। 

CBI की FIR में नेताओं, अफसरों के नाम 
इलाहाबद हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने इस सिलसिले में अज्ञात लोगों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। एफआईआर में कुछ नेताओं और अधिकारियों, सरकारी मुलाजिमों के नाम है। अवैध खनन मामले में आईएएस अफसर बी. चन्द्रकला के अलावा आदिल खान, तत्कालीन खनन अधिकारी मोइनुद्दीन, समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन क्लर्क राम आश्रय प्रजापति, अंबिका तिवारी (हमीरपुर), एसपी के एमएलसी संजय दीक्षित, खनन क्लर्क राम अवतार सिंह और उनके रिश्तेदार आरोपी हैं। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिए हैं जांच के आदेश 
दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को अवैध खनन मामले की जांच का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को यूपी के 5 जिलों- शामली, हमीरपुर, फतेहपुर, देवरिया और सिद्धार्थ नगर में अवैध रेत खनन के आरोपों की जांच का आदेश दिया। हाई कोर्ट की ओर से जांच के आदेश दिए जाने के करीब ढाई साल बाद सीबीआई ने यह कार्रवाई की है। हाई कोर्ट ने 28 जुलाई 2016 को निर्देश दिया था कि वह राज्य में अवैध खनन की जांच करे। इसके बाद उसने 7 प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी, जिसमें से 2 शामली और कौशांबी जिलों से जुड़े थे। इन्हें 2017 में प्राथमिकी में तब्दील कर दिया गया था। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि फतेहपुर, देवरिया, सहारनपुर और सिद्धार्थ नगर जिलों से जुड़े मामले भी जल्द दाखिल किए जाएंगे। सीबीआई 2012 और 2016 की अवधि के दौरान के अवैध खनन की जांच कर रही है। आरोप है कि एनजीटी के रोक के बावजूद अधिकारियों और मंत्रियों की मिलीभगत से रेत खनन के ठेके दिए गए। आरोप है कि अफसरों ने अवैध खनन की इजाजत दी और पट्टाधारकों व ड्राइवरों से पैसों की उगाही की। 

14 जगहों पर सीबीआई के ताबड़तोड़ छापे 
अवैध खनन के मामले में सीबीआई की टीमों ने शनिवार को लखनऊ, कानपुर, हमीरपुर, जालौन के अलावा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत 14 जगहों पर छापेमारी की। सीबीआई टीम ने लखनऊ स्थित हुसैनगंज में आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला के आवास पर भी छापा मारा। सफायर अपार्टमेंट में सीबीआई ने छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज भी जब्त किए। एजेंसी के मुताबिक इन अफसरों और कर्मचारियों पर 2012 से 2016 के दौरान अवैध खनन की इजाजत देने और लाइसेंसों के रीन्यूअल का आरोप है, जबकि नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) ने खनन पर रोक लगा रखी थी। 

अखिलेश के राज में हमीरपुर में तैनात थीं बी. चंद्रकला 
गौरतलब है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार में बी. चंद्रकला की पोस्टिंग हमीरपुर में बतौर जिलाधिकारी हुई थी। उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग खनन के पट्टे कर दिए थे। हालांकि, उस दौरान ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों को स्वीकृत करने का प्रावधान था। इसके बावजूद नियमों की अनदेखी करते हुए ऐसा किया गया था। 

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