‘मौत’ को हल्के में ले रहा IOC, ओलिंपिक पर अड़ा

लुसाने
कोरोना महामारी के दुनियाभर में रोजाना बढ़ते कहर के बावजूद इंटरनैशनल ओलिंपिक्स कमिटी (आईओसी) के आयोजक इस बात पर लगभग अड़े हुए हैं कि तोक्यो-2020 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक्स अपने नियत समय पर होकर रहेंगे। इस बीच हालांकि यूरोपियन फुटबॉल टूर्नमेंट (यूरो-2020), फॉर्म्युला वन ऑटो रेसिंग तथा अमेरिका में प्रफेशनल व कॉलेजिएट बास्केटबॉल जैसी अहम खेल प्रतियोगिताएं रद्द की जा चुकी हैं, लेकिन आईओसी अडिग है। इसके अलावा जापानी पीएम शिंजो आबे ने भी संकल्प जताया है कि जापान संक्रमण से पार पाकर ओलिंपिक्स का आयोजन बिना किसी समस्या के करेगा।

…लेकिन बढ़ रहा दबाव
भले ही आईओसी तथा जापान सरकार खतरे को कमतर दिखाकर आयोजन पर आमादा हों, लेकिन जो परिस्थितियां बन रही हैं उनमें खेलों की इस विश्व संस्था पर इसे रद्द करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। खुद टॉप ऐथलीटों द्वारा ही विरोध शुरू हो गए हैं और आईओसी पर खिलाड़ियों के स्वास्थ्य व कुशलता को जोखिम में डालने के आरोप लगने लगे हैं। एक रोज पहले ही कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक इटली के अनुरोध पर यूएफा (यूरोपियन फुटबॉल चैंपियनशिप) यूरो-2020 को अगले साल तक टाल दिया गया। साथ ही, टेनिस के ग्रैंड स्लैम में से एक फ्रेंच ओपन को इस साल मई- जून से आगे खिसका कर सितंबर कर दिया गया। ऐसे में दबाव तो ओलिंपिक्स के आयोजकों पर भी है। विश्व व्यापक पब्लिक हेल्थ के हक में इसे आगे खिसकाने या फिर पूरी तरह कैंसल करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है।
 

ऐसे में कैसे होंगे खेल
सवाल यह भी है कि फिलहाल जो स्थिति है उसमें दुनिया के कई प्रमुख देश जिनमें चीन, फ्रांस, इटली, स्पेन, ईरान, अमेरिका आदि शामिल हैं वहां कोरोना वायरस के चलते उथलपुथल मचा है। लाखों की तादाद में लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं तो हजारों मौतें भी हो चुकी हैं। ओलिंपिक्स होते भी हैं तो प्रमुख खेल ताकतें इनमें हिस्सा लेने की स्थिति में ही नहीं होंगी तो फिर ऐसे आयोजन का कोई औचित्य ही नहीं रहेगा और यह खानापूर्ति की तरह होंगे। दूसरी ओर, खतरा यह है कि इतने बड़े पैमाने पर अगर तोक्यो में एक जगह दुनियाभर के खिलाड़ी और दर्शक जुटे तो वह जगह कोरोना के लिए 'हॉट जोन' की तरह होगा।

नहीं है 'आदर्श' हल, विरोध भी
आईओसी ने टॉप ऐथलीट्स के बढ़ते विरोध के बीच बुधवार को स्वीकार किया कि कोरोना वायरस को देखते हुए तोक्यो खेलों के आयोजन के लिए कोई ‘आइडियल’ हल नहीं है। आईओसी प्रवक्ता ने कहा, ‘यह एक असाधारण स्थिति है जिसके लिए असाधारण हल की जरूरत होती है।’ आईओसी ने यह बयान तब दिया है जबकि टॉप खिलाड़ियों ने आलोचना की है कि कोविड-19 महामारी फैलने के बावजूद अगर 24 जुलाई से 9 अगस्त के बीच होने वाले ओलिंपिक्स का आयोजन होता है तो उन्हें उनकी हेल्थ पर जोखिम लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। ओलिंपिक्स पोल वॉल्ट चैंपियन कैटरीना स्टेफेनिडी और ब्रिटिश हेफ्टाथलन खिलाड़ी कैटरीना जॉनसन थॉम्पसन ने आईओसी के इस बयान पर चिंता जताई थी कि जिसमें दुनिया की सर्वोच्च खेल संस्था ने 24 जुलाई के पूर्व कार्यक्रम के अनुसार खेलों के आयोजन की पूर्ण प्रतिबद्धता की बात की थी।

टेस्ट टूर्नमेंट रद्द
तोक्यो ओलिंपिक्स
के आयोजकों ने बुधवार को कहा कि 4 और 5 अप्रैल को होने वाला जिम्नास्टिक टेस्ट टूर्नमेंट रद्द कर दिया गया है। आयोजकों ने कहा कि जापान जिम्नास्टिक संघ ने एफआईजी आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक ऑल अराउंड वर्ल्ड कप रद्द कर दिया क्योंकि खिलाड़ियों और रेफरियों ने इसमें हिस्सा लेने से मना कर दिया है। इससे पहले, तोक्यो चैलेंज कप वॉलिबाल टूर्नमेंट भी रद्द हो चुका है जो 21 से 26 अप्रैल के बीच होना था। इस बीच, ओलिंपिक्स मशाल शुक्रवार को ग्रीस से विमान के जरिए यहां पहुंचेगी। चार महीने तक चलने वाली मशाल रिले 26 मार्च को शुरू होगी।

आईओसी मेंबर का विरोध
आईओसी की मेंबर हेली विकेनहाइजर का मानना है कि जानलेवा कोरोना महामारी के बावजूद तोक्यो ओलिंपिक्स को तय योजनानुसार आयोजित करने की बात करना 'असंवेदनशील' और 'गैरजिम्मेदाराना' है। हेली कनाडा की उस महिला आइस हॉकी टीम की सदस्य रही हैं जिसने 2002 से 2016 के बीच लगातार चार बार ओलिंपिक्स गोल्ड मेडल जीता है। आईओसी ऐथलीट्स कमिशन की 41 वर्षीय इस सदस्य ने कहा कि यह संकट ओलिंपिक्स से कहीं बड़ा है।

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