मोदी ने 6 सालों में जितना ‘कमाया’ कोरोना ने सब धो डाला

मुंबई
अभी पूरी दुनिया में कोरोना वेब है। कुछ समय पहले की बात है जब मोदी वेब था। 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। जनता की उनसे काफी उम्मीदें थीं और उसी के मुताबिक उन्होंने इकॉनमी में सुधार के लिए कई ऐतिहासिक फैसले भी लिए। इन फैसलों का असर दिखा और इकॉनमी के साथ-साथ शेयर बाजार में भी जबर्दस्त तेजी आई। देश में निवेशकों की बाढ़ आ गई, लेकिन कोरोना वेब के सामने उनका वेब कमजोर पड़ गया और उनके द्वारा छह साल में किया गया सारा काम धुल गया।

20 जनवरी 2020 को उच्चतम स्तर पर सेंसेक्स
26 मई 2014 को सेंसेक्स 24716 पर बंद हुआ था। पिछले छह सालों में यह 20 जनवरी 2020 को 42273 के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंचा था, लेकिन आज यह 3934 अंकों की इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट के साथ 25981 के स्तर पर बंद हुआ। आज इसमें 13.15 पर्सेंट की भारी गिरावट दर्ज की गई।

मार्च के महीने में सेंसेक्स 12316 अंक लुढ़का
केवल मार्च महीने की बात करें तो 28 अप्रैल को सेंसेक्स 38297 पर बंद हुआ था और पिछले 15 कारोबारी सेशन में यह 12316 अंकों से ज्यादा लुढ़क चुका है। आज बाजार खुलने के एक घंटे के भीतर निवेशकों के 10 लाख करोड़ रुपये डूब गए जब सेंसेक्स में 3000 से ज्यादा अंकों की गिरावट दर्ज की गई।

मार्च में 1 लाख करोड़ निकाल चुके हैं विदेशी निवेशक
मार्च के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा शेयर और बॉन्ड बाजार से निकाल चुके हैं। बिकवाली का जो सिलसिला जारी है उसको देखते हुए एक्सपर्ट को समझ में नहीं आ रहा है कि इसका सपॉर्ट लेवल क्या होगा। कोरोना का फिलहाल दूसरा ही चरण चल रहा है और जिस तरह पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई है उससे यह साफ है कि आने वाले दिनों में बाजार की हालत बदतर होने वाली है। आज तो शेयर बाजार के ब्रोकर भी पहली बार वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं।

निवेशकों के 52 लाख करोड़ रुपये डूबे
जनवरी में जब बाजार अपने उच्चतम स्तर पर था तब BSE लिस्टेड कंपनियों का टोटल मार्केट कैप 159.28 लाख करोड़ था। 13 मार्च को 38 कारोबारी सत्र में यह घटकर 113.49 लाख करोड़ पर पहुंच गया। मतलब निवेशकों के करीब 46 लाख करोड़ रुपये डूब गए। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक बिकवाली का जो ट्रेंड चला है उसके कारण अब तकनिवेशक के करीब 52 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं।

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