मोदी कैबिनेट में शामिल न होकर JDU ने चली दूर की चाल, ये है रणनीति

पटना

जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने मोदी कैबिनेट में शामिल न होकर दूर का दांव खेला है. उनका यह दांव अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में बहुत काम आ सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा है कि भविष्य में भी उनकी पार्टी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी. ये मान कर चलिए कि विधानसभा चुनाव तक तो इसकी कोई संभावना नही हैं.

उन्होंने हालांकि, भारतीय जनता पार्टी से किसी भी नाराजगी को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि बिहार में हम साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं. और 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर इसका कोई असर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि बिहार में भी गठबंधन की पहले भी और आज भी सरकार चल रही है. पहले ही सभी कुछ यहां तक कि मंत्रालय भी तय हो जाते हैं.  

मोदी कैबिनेट में JDU नहीं, क्या वजह?

नीतीश के मोदी कैबिनेट में सांकेतिक भागीदारी के प्रस्ताव को नामंजूर करने के पीछे की वजहें बहुत वाजिब हैं. पहली तो ये कि एक मंत्री के सांकेतिक रूप से मंत्रिमंडल में शामिल होने का मतलब है. पार्टी के अंदर मनमुटाव का होना. दूसरी सबसे बड़ी वजह ये है कि बीजेपी चुनाव में इस बार जो मुद्दे लेकर चली हैं, उनका विरोध मंत्रिमंडल में शामिल होकर नहीं किया जा सकता है.

BJP-JDU के बीच मुद्दों पर मतभेद

बीजेपी और जेडीयू के बीच कई मुद्दों पर मतभेद है. लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने जो वायदे किए हैं चाहे वो धारा 370 हो या 35 ए हो या फिर समान आचार संहित को लागू कराना. अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद ये तो साफ हैं कि मोदी सरकार इन मुद्दों के लेकर कितनी गंभीर है. जबकि जेडीयू और नीतीश कुमार को इन मुद्दों से परहेज है. पार्टी ने चुनाव के आखिरी चरण के मतदान के दौरान तो स्पष्ट कह दिया था कि इन मुद्दों पर वो बीजेपी के साथ नहीं है.

बीजेपी के पास अब साल 2014 से भी ज्यादा प्रचंड बहुमत है. इसलिए पार्टी के सामने इन मुद्दों को पूरा करने के लिए कोई खासी चुनौती भी नहीं होगी. ऐसे में नीतीश कुमार की स्थिति काफी असहज हो सकती थी. वो जानते हैं कि अगर इन सब मुद्दों का विरोध करना मंत्रिमंडल में रह कर संभव नहीं है और अगर मंत्रिमंडल से बाहर आना पड़े तो स्थिति और बिगड़ सकती है. इसलिए वो लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में चाहे बाहर है, लेकिन वो एनडीए के साथ हैं. सरकार से बाहर रह कर ही इन मुद्दों का विरोध तो किया जा सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *