मॉनसून पूर्व बारिश में 22 फीसद की कमी, देश में सबसे अधिक दक्षिण में 46% कम हुई बारिश

 नई दिल्ली

देश के कई हिस्सों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण समय मार्च से मई महीने तक मॉनसून से पहले की बारिश में 22 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। मौसम विभाग के आंकड़ों से यह पता चला है। मौसम विभाग ने एक मार्च से 15 मई तक 75.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की, जो कि सामान्य से करीब 22 प्रतिशत कम है। इस अवधि में सामान्य बारिश 96. 8 मिमी होती है।

मॉनसून से पहले की बारिश देश के कुछ हिस्सों में बागवानी फसलों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। ओडिशा जैसे राज्यों में मॉनसून पूर्व मौसम में खेतों की जुताई की जाती है, जबकि देश के पूर्वोत्तर हिस्से और पश्चिमी घाट में फसल रोपण के लिए यह महत्वपूर्ण समय होता है। मौसम विभाग ने एक मार्च से 24 अप्रैल तक बारिश में 27 प्रतिशत तक कमी दर्ज की।

इस बीच, मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिणपूर्व मॉनसून दक्षिण अंडमान सागर में आगे बढ़ गया है और इसके अगले दो – तीन दिनों में उत्तर अंडमान सागर और अंडमान सागर पहुंचने की अनुकूल दशाएं हैं। मौसम विभाग के चार मौसमी संभागों में दक्षिणी प्रायद्वीप (जिसमें सभी दक्षिणी राज्य आते हैं) में मॉनसून पूर्व बारिश में 46 प्रतिशत की कमी आई है जो कि देश में सबसे अधिक है।

इसके बाद उत्तर पश्चिम सबडिवीजन आता है जिसके तहत सभी उत्तरी भारतीय राज्य आते हैं – यह एक मार्च से 24 अप्रैल तक 38 प्रतिशत रहा लेकिन कई हिस्सों में बारिश होने के चलते इसमें दो प्रतिशत की कमी आई। पूर्वी और उत्तर पूर्व क्षेत्र, जिसमें जिसमें झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पूर्वोत्तर के राज्य आते हैं, में बारिश में सात प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।

वहीं मध्य क्षेत्र (जिनमें महाराष्ट्र, गोवा, छत्तीसगढ़, गुजरात और मध्य प्रदेश आते हैं) में बारिश में कोई कमी दर्ज नहीं की गई है। हालांकि, एक मार्च से 24 अप्रैल तक मध्य संभाग में मॉनसून की बारिश सामान्य से पांच प्रतिशत कम दर्ज की गई। क्षेत्र में प्रचंड लू भी महसूस की जा रही है और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में कई बांध का पानी लगभग सूख गया है।

मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी घाट के हिस्सों में मॉनसून पूर्व बारिश रोपण फसलों के लिए महत्वूपर्ण है। मध्य भारत में उपजाए जाने वाला गन्ना और कपास सिंचाई पर निर्भर करते हैं और उन्हें मॉनसून पूर्व बारिश की भी जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि हिमालय के जंगली क्षेत्रों में मॉनसून पूर्व बारिश सेब की बागवानी के लिए जरूरी हैं।

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